अस्तित्व की लड़ाई में यहूदियों ने चटा दी थी 6 अरब देशों को धूल

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 जेरूसलम
हमेशा से विवादों में रहा इजरायल और फिलिस्तीन का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है। इजरायल देश में यहूदियों की आबादी काफी  ज्यादा है, आज दुनिया के नक्शे में इजरायल एक यहूदी देश माना जाता है। मगर एक वक्त था जब यहूदी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रताड़ित समुदायों से एक थे। हिटलर ने भी यहूदियों पर काफी जुल्म ढाए थे। अपने ऊपर दुनियाभर में हो रही ज्यादती से आजिज आकर बहुत सारे यहूदियों अपने लिए एक अलग देश की मंशा जाहिर की। इसके लिए यहूदियों ने उस वक्त के फिलिस्तीन में शरण लेनी शुरू की। जिस वक्त यहूदी फिलिस्तीन में शरण ले रहे थे उस वक्त यहां ब्रिटिश क्राउन का शासन था। उस दौरान फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक अलग देश की मांग काफी बढ़ गई थी। तब के स्थानीय अरब लोग इस बात से नाखुश थे कि उनकी जमीन पर यहूदियों के लिए एक अलग देश क्यों बनाया जाए।

यरुशलम को लेकर गहराया विवाद
अरब और यहूदियों का विवाद अंग्रेजों के हाथ से निकल कर यूएनओ के पास चला है। दोनों के बीच यूएनओ ने हल निकाला कि बेलफोर डिक्लेरेशन के तहत इजरायल देश को बनाने की अनुमति दी गई। 14 मई साल 1948 को इजरायल विश्व के नक्शे पर अस्तित्व में आता है। जहां 48 प्रतिशत भू-भाग फिलिस्तीन को दिया गया और 44 प्रतिशत भाग नए बने इजरायल के हिस्से में आया। जबकि 8 प्रतिशत यरुशलम का हिस्सा यूएनओ ने अपने कंट्रोल में रखा। मगर यरुशलम को लेकर अरब लोगों ने विवाद छेड़ दिया। अरब लोगों का कहना था कि यरुशलम पर उनका अधिकार होना चाहिए क्योंकि इस्लाम के तीन पवित्र स्थान में से एक अल-अक्सा मस्जिद वहां स्थित है।

6 अरब देशों ने बोला था इजरायल पर धावा
अरब देशों के लिए इजराइल का अस्तित्व में आना नागवार था। अरब देशों का मानना था कि यह ब्रिटिश लोगों को तरीका है अपने उपनिवेशवाद को जारी रखने का। इसके बाद छह अरब देश मिलकर इजरायल के खिलाफ जंग छेड़ देते हैं। इस जंग को प्रथम इजरायल-अरब युद्ध 1948 नाम दिया गया। यह जंग अपने आप में ही काफी ऐतिहासिक थी क्योंकि पांच से ज्यादा अरब नए बनाए गए देश को खत्म करना चाहते थे। उस वक्त यहूदी, जो इजरायल में रहते थे, उन्होंने देखा है कि कुछ साल पहले दुनिया उनके साथ कैसे पेश आ रही थी। उनके लिए अरब देशों से यह युद्ध अस्तित्व की लड़ाई बन गई थी। यहूदियों ने ठान लिया कि अगर ये आज अरब देशों से नहीं लड़ेंगे तो दुनिया में इनके लिए कोई जगह नहीं होगी।

इजरायल ने चटा दी थी धूल
प्रथम इजराइल-अरब युद्ध 1948 में यहूदियों ने बहादुरी से लड़ा और बहुत ही हैरानी की बात है कि छह अरब देशों को नए बने इजरायल ने धूल चटा दी। साल 1949 में जब जब युद्ध खत्म होता है तो यूएनओ पार्टीशन प्लान के तहत जो भू-भाग फिलिस्तीन के हो गए थे, उनमें से कई जगहों पर अब इजरायलियों ने अपना कब्जा जमा लिया था। गाजा पट्टी का भू-भाग इजिप्ट के पास चला गया और वेस्ट बैंक हिस्सा जॉर्डन के पास चला गया। इसका मतलब यह हुआ कि अब स्थानीय फिलिस्तीनियों के पास कोई अपनी जगह नहीं बची। सात लाख फिलिस्तीनी लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और रिफ्यूजी बनकर अरब देशों में शरण लेनी पड़ी। इस पलायन को 1948 का फिलिस्तीनी पलायन कहा गया।

कर लिया था इजिप्ट प्रायद्वीप पर भी कब्जा
एक बार फिर साल 1967 में इजरायल और अरब देशों के बीच छह दिन की जंग होती है। इसे द्वितीय इजराइल-अरब युद्ध कहा गया। इस बार इजरायल इतना आक्रामक हो जाता है कि उसने इजिप्ट के कब्जे वाली गाजा पट्टी के साथ-साथ इजिप्ट प्रायद्वीप के बड़े भू-भाग पर भी कब्जा कर लिया था।

 

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