ब्राह्मण को पितृपक्ष में भोजन कराते समय याद रखें ये 7 नियम

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हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष का माह बहुत महत्वपूर्ण होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होती है और ये अश्विन माह की अमावस्या तिथि तक चलता है. इस 15 दिन की अवधि में सनातन धर्म को मानने वाले लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण इत्यादि कर्मकांड करते हैं.

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, पितृपक्ष के दौरान पितृ धरती पर आते हैं और अपने परिवार में रहते हैं. पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. ब्राह्मणों के भोज के बिना श्राद्ध का फल पूरा नहीं माना जाता है. श्राद्ध के दौरान किसी भी ब्राह्मण को कराया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है. इसके अलावा गाय, कुत्ते, कौवे को भी भोजन कराया जाता है. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान ब्राह्मणों को भोज कराते समय किन बातों का रखें ख्याल.

ब्राह्मण भोज कराते समय ध्यान रखें ये बातें…
पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा के लिए श्राद्ध किए जाते हैं और श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. नियमित रूप से विधि विधान पूर्वक पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और भोजन करते समय कुछ नियमों का पालन भी करना चाहिए.

  • पितृपक्ष के दौरान धर्म-कर्म का पालन करने वाले ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है.
  • ब्राह्मणों के भोजन करने के पहले उन्हें सम्मान पूर्वक आमंत्रित करना चाहिए. पितृपक्ष में पितरों के लिए किया गया श्राद्ध हमेशा दोपहर के समय किया जाता है.
  • खासकर श्राद्ध के दौरान ऐसे ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए जो और किसी श्राद्ध में भोजन न करें.
  • पितृपक्ष के श्राद्ध में भोजन सात्विक होना चाहिए. लहसुन, प्याज आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
  • हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ ही मुख करके भोजन करना चाहिए.
  • पितृपक्ष के दौरान भोजन को परोसते समय हमेशा कांसे, पीतल, चांदी या फिर पत्तल के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • पितृपक्ष में ब्राह्मणों के भोजन करने के बाद उन्हें दान दक्षिणा दें. ऐसा करने से श्राद्ध का पूरा फल प्राप्त होता है.

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