राष्ट्रीय

डेंगू बुखार में अगर आप भी ले रहे हैं पैरासिटामोल, तो जान लें क्या हो सकते हैं इसके नुकसान

नई दिल्ली  देश में इस समय लगातार डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। बीते कुछ समय से अलग-अलग हिस्सों...

पति के वियोग में पत्नी ने भी एक घंटे बाद तोड़ा दम, एक ही चिता पर अंतिम संस्कार

घोघा (भागलपुर) पन्नूचक गांव में एक दंपती ने साथ जीने-मरने का वादा निभाया। पति की मौत के बाद पत्नी ने...

SC ने अपने आदेश पर पुनर्विचार कर फैसला सुरक्षित रखा- रिश्वत लेकर सदन में मतदान करने वाले MP या MLA अब नपेंगे?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों को रिश्वत लेने के मामले में मुकदमें से छूट देने के अपने 1998 के...

सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से किया सवाल- मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत कहां हैं…?

नई दिल्ली दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी द्वारा दर्ज केस में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर गुरुवार को...

पश्चिम बंगाल नगर पालिका नौकरी घोटाले में 12 ठिकानों पर ED की छापेमारी जारी

कोलकाता पश्चिम बंगाल में नगर पालिकाओं के लिए करोड़ों रुपये के भर्ती घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की...

सरकारी नौकरी के लिए टंकी पर चढ़े अभ्‍यर्थी, REET में एमबीसी वर्ग के 372 पदों पर नियुक्ति की मांग

जयपुर   राजस्‍थान शिक्षक पात्रता भर्ती परीक्षा (REET) में MBC वर्ग के 372 पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर...

घाटी मुठभेड़ में मारे गए दोनों आतंकवादियों की पहचान की गई

जम्मू  दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के कुज्जर इलाके में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में मारे गए...

गृह मंत्री शाह का आतंकवाद पर एक्शन, बुलाई NIA की अहम बैठक, खालिस्तान पर कसेगा शिकंजा

नईदिल्ली खालिस्तानियों और आतंकियों के खात्मे के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने आज अहम बैठक बुलाई है। इस...

पीएम मोदी ने साधा गहलोत पर निशाना, ‘जब जोधपुर दंगों में जल रहा था, तब मुख्यमंत्री क्या कर रहे थे’

जयपुर  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को राजस्थान में लगभग 5,000 करोड़ रुपए की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।