छत्तीसगढ़

महासमुंद के बेमचा मैदान में मोदी की आमसभा 13 को, आज जारी होगा प्रोटोकॉल

रायपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन, यानी सोमवार, 13 नवंबर को बेमचा मैदान में चुनावी सभा को...

रोटी के लिए झगड़े, शिविरों में हताशा: युद्ध ने बिगाड़ा गाजा का सामाजिक ताना-बाना

यरूशलम  इजराइल और फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के बीच जारी युद्ध के मध्य हालात ये हैं कि लोग रोटी...

ग्वालियर दक्षिण सीट पर कांग्रेस ने कांटे की टक्कर, महज 121 वोटों से हुआ था फैसला

ग्वालियर. महज 121 सीटों से किसी उम्मीदवार को उसके चुनाव क्षेत्र में जीत मिले, तो ऐसा परिणाम सालों तक चर्चा...

मनोरंजन उद्योग को जीवित रखने के लिए पायरेसी को समाप्त करना जरूरी : अभय सिन्हा

मुंबई  इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर एसोसिएशन (इम्पा) के अध्यक्ष अभय सिन्हा ने भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर...

दीपावली पर वास्तु के अनुसार पूजन-श्रृंगार से खूब बरसेगा पैसा

रायपुर. लक्ष्मी आराधना और स्तुति का पर्व है दीपावली। लक्ष्मी पूजन में कोई कमी न रह जाए,सबका यही प्रयास रहता...

MP Elections 2023: छोटे दलों की वजह से बीजेपी-कांग्रेस के हाथ से फिसल गई थी जीत, अब भी यही डर…

भोपाल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ जगहों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। यह क्षेत्रीय दलों की एंट्री की वजह...

दिवाली घर में ट्राई करें ये स्वादिष्ट रेसिपी, मेहमानों को आएगा पसंद

दीपों का त्योहार दिवाली स्वादों का त्योहार भी कहलाता है। भारत में कोई भी त्योहार बिना खाने के अधुरा ही...

चंबल के बीहड़ों में मुकाबला दिलचस्प, सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के कोटे से इन्हें मिला टिकट

मुरैना भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशियाें की पांचवी सूची जारी की, जिसमें मुरैना जिले की अंबाह और जौरा सीट के...

भाजपा के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र पर अब छत्तीसगढ़ की जनता देगी जवाब : वर्मा

रायपुर भारतीय जनता पार्टी का मूल चरित्र ही छत्तीसगढिया विरोधी है। 15 साल रमन सिंह को अवसर मिला था, छत्तीसगढ़...

प्रियंका सिंह और माही श्रीवास्तव का सैड सांग ‘फरेब’ रिलीज

मुंबई  गायिका प्रियंका सिंह और अभिनेत्री माही श्रीवास्तव का सैड सांग 'फरेब' रिलीज हो गया है। 'फरेब' गाना वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।