छत्तीसगढ़

झूठ बोलकर सरकार बनाना-बाद में लूट मचाना कांग्रेस की रणनीति – राजीव चंद्रशेखर

भोपाल. कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ मध्यप्रदेश की जनता, युवाओं, महिलाओं, किसानों को ही नहीं ठगा है, बल्कि हर चुनाव में...

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुलदीप यादव ने पूरे किये 250 विकेट

कोलकाता. भारतीय स्पिनर कुलदीप यादव ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 250 विकेट पूरे कर लिए हैं। कुलदीप ने ईडन...

केवल कांग्रेस किसानों की हितैषी, एक क्विंटल धान 3200 में खरीदने की घोषणा : जैन

कर्जमाफी और धान का समर्थन मूल्य साबित होंगे मास्टर स्ट्रोक गांव, गरीब, महिलाओं, युवाओं, व्यापारियों आदि की सुध घोषणा पत्र...

दिल्ली के उपराज्यपाल ने प्रदूषण के हालात का लिया जायजा, राजघाट का किया दौरा

दिल्ली. राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में लगातार हवा खराब होती जा रही है। कई जगहों पर एक्यूआई गंभीर...

बल्लेबाजी कोच राठौड़ बोले – हमारा फोकस अपने खेल पर, विरोधी टीम के बारे में नहीं सोच रहे

कोलकाता. विश्व कप में अभी तक सभी आठ मैचों में एकतरफा जीत दर्ज करने वाली भारतीय टीम के बल्लेबाजी कोच...

महादेव सट्टेबाजी ऐप का पूरा विवाद क्या है, क्यों बन गया है ये हाईप्रोफाइल केस …

शुक्रवार यानी 3 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने महादेव सट्‌टेबाजी ऐप मामले में एक बयान जारी किया. जिसमें कहा गया...

बिस्वा बोले- छत्तीसगढ़ के चुनाव में महादेव हिसाब लेंगे:बिलासपुर में असम के CM बोले- राहुल-प्रियंका के पास कोई काम नहीं…

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बिलासपुर में कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे अनएम्प्लॉयड लड़का-लड़की जीवन...

इजरायल को हमास के साथ युद्ध में कितना नुकसान, पाक विदेशी मुद्रा भंडार से 6 गुनी है कीमत!

तेल अवीव गाजा पट्टी में हमास के साथ इजरायल के युद्ध में 200 बिलियन शेकेल (51 बिलियन डॉलर) का खर्च...

रायपुर में सस्ते में केंद्र की एजेंसी बेच रही प्याज:25 रुपए किलो में प्याज, 60 रु में चना दाल; नाम-नंबर हो रहा नोट…

प्याज की नई फसल नहीं आने के कारण नासिक से सप्लाई कम हो गई है। जिसकी वजह से राजधानी रायपुर...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।