छत्तीसगढ़

सिसोदिया बीमार पत्नी से मिलने घर पहुंचे, कोर्ट से मिली है परमिशन

नईदिल्ली   पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अदालत से अनुमति मिलने के बाद अपनी बीमार पत्नी से मिलने तिहाड़ जेल...

दो ब्रह्माकुमारी बहनों ने आगरा में की खुदकुशी, सुसाइड नोट में लिखा- आसाराम की तरह जिंदगी भर जेल में रखो

आगरा जिले के जगनेर स्थित ब्रह्मकुमारी आश्रम में शुक्रवार देर रात दो सगी बहनों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली....

अर्द्धसत्य और नफ़रत बढ़ाने वाली ख़बरों से घिरा है देश -ठाकुरता

इंदौर  देश में पत्रकारिता की स्थिति जितनी आज खराब है, उतनी आपातकाल के दौर में भी नहीं थी। पर्यावरण के...

WC सेमीफाइनल की आखिरी टीम पर आज लगेगी मुहर, पाकिस्तान की घर वापसी तय

मुंबई वर्ल्ड कप 2023 की चारों सेमीफाइनलिस्ट टीमों की तस्वीर आज इंग्लैंड वर्सेस पाकिस्तान मुकाबले के बाद साफ हो जाएगी।...

दौसा में दरिंदा बन गया सब इंस्पेक्टर, 4 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म, लोगों ने थाने में ही पीटा

दौसा अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर किस पर भरोसा किया जाए? इसी से जुड़ा और खाकी को...

छठ पूजा के लिए रेलवे चलाएगा 12 से स्पेशल ट्रेनें

रायपुर छठ पूजा के अवसर पर साबरमती-दानापुर-साबरमती, साबरमती-दिल्ली सराय-साबरमती और भावनगर टर्मिनस-दिल्ली स्पेशल रेल सेवा का संचालन 12 से 26...

ट्रांसजेंडस विद्या राजपूत जाएंगी अमेरिका, छग में हुए कामों को बताएंगी

रायपुर छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर के लिए हो रहे कामों की चर्चा अब विदेश में भी होने लगी है। छत्तीसगढ़ में...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।