छत्तीसगढ़

अखिल भारतीय रेलवे सुरक्षा बल बैंड प्रतियोगिता दयाल बस्ती ने जीती

बिलासपुर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा आयोजित 12वीं अखिल भारतीय रेलव सुरक्षा बल बैंड प्रतियोगिता रेलवे सुरक्षा विशेष बल 1,दया...

तेलंगाना की जनता ने केसीआर को कहा बाय-बाय तो कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से ये होंगे सीएम फेस

हैदराबाद तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 में वोटिंग से पहले चुनाव प्रचार उफान पर है। चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में...

टी20 सीरीज : स्टूडेंट्स को एक हजार रुपये में मिलेंगे ऑफलाइन टिकट

रायपुर  भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टी20 सीरीज का चौथा मैच राजधानी रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट...

अमेरिका के विदेशमंत्री ब्लिंकन इस सप्ताहांत करेंगे इजराइल की यात्रा

अमेरिका के विदेशमंत्री ब्लिंकन इस सप्ताहांत करेंगे इजराइल की यात्रा वाशिंगटन अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इस सप्ताहांत इजराइल...

भारतीय अमेरिकी सांसद कृष्णामूर्ति पर ‘फॉरेन पॉलिसी’ पत्रिका में लेख प्रकाशित

भारतीय अमेरिकी सांसद कृष्णामूर्ति पर 'फॉरेन पॉलिसी' पत्रिका में लेख प्रकाशित  सांसद कृष्णमूर्ति, 'फॉरेन पॉलिसी' मैगजीन ने लिखा लेख वाशिंगटन...

रायपुर टी-20 में नहीं दिखाई देगें ऑस्ट्रेलिया के ये दिग्गज खिलाड़ी

रायपुर भारत के खिलाफ पहले दो टी-20 मैच गंवाने के बाद आस्ट्रेलियाई टीम ने अपने दस्ते में बदलाव करते हुए...

जीडीआर मैनिपुलेशन केस में सेबी हुआ सख्त, अरुण पंचारिया पर 26 करोड़ की पेनाल्टी

नई दिल्ली  मार्केट कंट्रोलर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) जारी करने में हेरा-फेरी...

त्योहारी सीजन में इस साल मोटर वाहन खुदरा बिक्री रिकॉर्ड ऊंचाई पर : फाडा

नई दिल्ली भारत में मजबूत मांग के दम पर इस साल त्योहारी सीजन में मोटर वाहन की खुदरा बिक्री रिकॉर्ड...

कहा जाता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, 65 साल के बुजुर्ग ने पहली कक्षा में लिया दाखिला

खैबर पख्तूनख्वा कहा जाता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इसी कहावत को हकीकत में बदला है पाकिस्तान...

एआईपीईएफ ने ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी, आयात की जांच की मांग की

नई दिल्ली  ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने  देश में विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी के...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।