छत्तीसगढ़

रामकृष्ण हॉस्पिटल ने बंद किये आयुष्मान कार्ड भटक रहे है डायलिसिस के मरीज…. हॉस्पिटल के सामने शासन भी लाचार … पढ़िए पूरी खबर…

रामकृष्ण हॉस्पिटल ने बंद किये आयुष्मान कार्ड भटक रहे है डायलिसिस के मरीज.... हॉस्पिटल के सामने शासन भी लाचार ......

*डाक्टरस आन स्ट्रीट के द्वारा युवा प्रबोधन वर्कशॉप का आयोजन…*

*डाक्टरस आन स्ट्रीट के द्वारा युवा प्रबोधन वर्कशॉप का आयोजन...*   दोस्त ( डाक्टरस आन स्ट्रीट) और प्योर संस्था के...

*आयुष यूनिवर्सिटी को एमबीबीएस की डिग्री देने हेतु हाई कोर्ट ने दिया निर्देश*

  *आयुष यूनिवर्सिटी को एमबीबीएस की डिग्री देने हेतु हाई कोर्ट ने दिया निर्देश*     रायपुर जिले के शांति...

*हिन्द इंग्लिस मीडियम हाई स्कूल में वार्षिकोत्सव मनाया गया* *छात्र-छात्राओं ने की मनमोहक प्रस्तुति*

*हिन्द इंग्लिस मीडियम हाई स्कूल में वार्षिकोत्सव मनाया गया* *छात्र-छात्राओं ने की मनमोहक प्रस्तुति*     रायपुर- हिन्द इंग्लिस मीडियम...

*नरेंद्र मोदी का विकसित भारत संकल्प हम सभी का संकल्प है:राजेश मूणत*

*नरेंद्र मोदी का विकसित भारत संकल्प हम सभी का संकल्प है:राजेश मूणत*     *मोदी की गारेंटी कभी फेल नहीं...

*कार्यकर्ता को टिकट दे दो जीत तय* मेहतर शंकर लाल साहू का नाम आया सामने…*

*कार्यकर्ता को टिकट दे दो जीत तय* मेहतर शंकर लाल साहू का नाम आया सामने...*   लोकसभा चुनाव में बन...

*सेवानिवृत्त दिवस में कर्मचारियों को पेंशन का आदेश हो* *पेंशन प्रकरणों की तैयारी सेवानिवृत्ति के दो वर्ष पूर्व से किया जावे* *लंबित प्रकरणों में गति लाने संचालक पेंशन ने की समीक्षा*

*सेवानिवृत्त दिवस में कर्मचारियों को पेंशन का आदेश हो* *पेंशन प्रकरणों की तैयारी सेवानिवृत्ति के दो वर्ष पूर्व से किया...

*निर्वाचन की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना ही निर्वाचन अधिकारी की योग्यता की कसौटी – श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले*

*निर्वाचन की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना ही निर्वाचन अधिकारी की योग्यता की कसौटी - श्रीमती रीना बाबा साहेब...

*विश्व सामाजिक मंच के नेपाल में आयोजित सम्मेलन में डॉ सत्यजीत के नेतृत्व दोस्त और प्योर संस्था ने छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया* 

*विश्व सामाजिक मंच के नेपाल में आयोजित सम्मेलन में डॉ सत्यजीत के नेतृत्व दोस्त और प्योर संस्था ने छत्तीसगढ़ का...

*भारत माता स्कूल डोहल में मातृ पितृ दिवस पर लगा आनंद मेला ,बच्चो ने बनाया व्यंजन*

*भारत माता स्कूल डोहल में मातृ पितृ दिवस पर लगा आनंद मेला ,बच्चो ने बनाया व्यंजन* *रिपोर्ट:- नागेश्वर मोरे* *देवभोग...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।