छत्तीसगढ़

हमास दिखा रहा था अकड़, नई शर्त भी थोपी; इजरायल ने दी चेतावनी तो छोड़ने पड़े और 17 बंधक

गाजा. शनिवार की देर रात हमास ने कुछ देर अकड़ दिखाने के बाद इजरायली बंधकों को रिहा कर ही दिया।...

IPL 2024: स्टोक्स से लेकर सैम करन और हार्दिक पांड्या तक, इन आठ खिलाड़ियों को रिलीज कर सकती है उनकी टीमें

नई दिल्ली आईपीएल 2024 को लेकर अभी से ही माहौल बनना शुरू हो गया है। आईपीएल फ्रेंचाइजी के पास खिलाड़ियों...

‘इमरान खान ने धोखेबाजी से की शादी’, कोर्ट पहुंचा बुशरा बीबी का पूर्व पति

इस्लामाबाद. इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के पूर्व पति खावर फरीद मानेका ने शनिवार को धोखाधड़ी से शादी करने...

सीएम भूपेश बघेल बोले- राम मंदिर के बहाने राजनीति कर रही बीजेपी

रायपुर. छत्तीसगढ़ चुनाव के बाद अब प्रदेश की राजनीति श्रीराम मंदिर पर गरमाई हुई है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में...

धार करेगा मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व

धार इंटेक विरासत शिक्षा एवं संचार प्रभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय हैरीटेज  क्वीज में धार शासकीय उत्कृष्ठ विद्यालय के कक्षा...

गिप्पी ग्रेवाल के कनाडा वाले बंगले पर फायरिंग, लोरेंस बिश्नोई ने ली जिम्मेदारी

लॉरेंस बिश्‍नोई समूह ने शनिवार को कनाडा के वैंकूवर के व्हाइट रॉक इलाके में पंजाबी गायक गिप्पी ग्रेवाल के आवास...

फ्री में देख सकते हैं भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया का लाइव मैच, टी20 मैचों की सीरीज का दूसरा मैच आज

नई दिल्ली भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच टी20 मैचों की सीरीज का दूसरा मैच रविवार को खेला जाएगा। सूर्यकुमार...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।