छत्तीसगढ़

माओवादियों के लगाए प्रेशर आईईडी की चपेट में आकर ग्रामीण घायल, भद्राचलम रेफर

बीजापुर. नक्सलियों के प्रेशर आईईडी की चपेट में आने से एक ग्रामीण घायल हो गया है। जख्मी हुए ग्रामीण को...

ईवीएम सुरक्षा जायजा लेने रायसेन समेत कई जिलों में पहुंचे अफसर अनुपम राजन भी उतरे मैदान में

भोपाल मतदान सम्पन्न होने के बाद मतगणना के लिए जिलों में अफसरों ने क्या तैयारी की है और स्ट्रांग रूम...

आसियान चाहता है कि भारत आरसीईपी में शामिल हो

जकार्ता दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) के 10 सदस्य देशों ने इच्छा जतायी है कि भारत को क्षेत्रीय व्यापक...

कांग्रेस का आरोप- प्रशासन और चुनाव आयोग ने नहीं की शिकायतों पर कार्रवाई

भोपाल इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग, जिला निर्वाचन अधिकारी और सीधे भारत निर्वाचन आयोग को ग्यारह हजार...

मैहर: 3 माह से नहीं थी बिजली, ग्रामीणों ने लाइनमैन को बनाया बंधक

सतना चुनावी सीजन में भी ग्रामीण क्षेत्रों की स्थितियां देखने शायद कोई नहीं जाता। इसका ताजा नमूना मैहर जिले का...

WBBL में बॉलर अमेलिया केर को तौलिये की मदद से गेंद पकड़ना पड़ा महंगा, अंपायर ने लगाई पांच रन की पेनल्टी

नई दिल्ली महिला बिग बैश लीग (डब्ल्यूबीबीएल) में एक मैच के दौरान अमेलिया केर को गलत तरीके से गेंद को...

घर पहुंचते ही ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंस बोले- हर आधे घंटे में याद आता है कि अभी-अभी विश्व कप जीता है’

नई दिल्ली आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप का खिताब जीतकर बुधवार को स्वदेश पहुंचे ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने...

कांग्रेस का आरोप-‘किसने रचा षडयंत्र, किसे बचाना चाहती है भाजपा?’

रायपुर. झीरम नक्सली हमले केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से एनआईए की याचिका खारिज किए जाने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।