छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में महिलाओं का 50 क्षेत्रों में मतदान सबसे ज्यादा

रायपुर. छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 50 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा मतदान...

‘अपनी विदाई और हार की समीक्षा कर रही कांग्रेस’; बृजमोहन बोले- भूपेश को आभास हो गया है कि वो जाने वाले हैं

रायपुर. विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में अब दावों और कयासों का दौर चल रहा है। हार, जीत को लेकर...

रमन सिंह ने सरकार बनाने का किया दावा, बोले- प्रदेश में 50 से 55 सीटों के साथ सत्ता में आएगी भाजपा

राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज अपने एक दिवसीय प्रवास पर राजनांदगांव जिले के दौरे पर थे...

फिर मुख्य सचिव एक्सटेंशन नहीं चाहते इकबाल, चुनाव आयोग को भेजेंगे पैनल

भोपाल प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का एक्सटेंशन इस माह समाप्त हो रहा है। इकबाल सिंह...

प्रताप स्नैक्स कंपनी ने बेचे 250000 शेयर, खबर के बाद 2 दिन से निवेशकों में खरीदने की होड़

मुंबई सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन यानी मंगलवार को पैकेज्ड फूड्स की कंपनी-प्रताप स्नैक्स के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने...

लीजेंड्स लीग : मणिपाल टाईगर्स ने रोचक मुकाबले में गुजरात जायंट्स को दस रनों से हराया, कालिस का अर्धशतक बेकार

रांची जीत की दहलीज पर पहुंचा गुजरात जायंट्स पारी के अंतिम तीन ओवर्स में मणिपाल टाईगर्स का दबाव नहीं झेल...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।