शिवशंकर सोनपिपरे

महाराष्‍ट्र में न्‍यूड डांस पर हंगामा, अचानक लड़की के शरीर से उतारे कपड़े, मामला दर्ज

भंडारा महाराष्ट्र के भंडारा जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक महिला और कुछ अन्य लोगों के अश्लील डांस...

डोपिंग उल्लंघन के लिए युगांडा की धावक जानत चेमुस्तो पर लगा चार साल का प्रतिबंध

कंपाला युगांडा की मध्यम दूरी की धावक जानत चेमुस्तो को एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट (एआईयू) ने डोपिंग उल्लंघन के लिए चार...

रनवे की जगह समुद्र में जा घुसा अमेरिकी नौसेना का विमान, यात्रियों ने तैरकर बचाई जान

वाशिंगटन लैंडिंग के दौरान गड़बड़ी की वजह से अमेरिकी नौसेना का एक सर्विलांस एयरक्राफ्ट (निगरानी विमान), हवाई के एक द्वीप...

जम्मू कश्मीर: जम्मू को दहलाने की साजिश नाकाम, सुरक्षाबलों ने LoC के पास से जब्त किया हथियारों का जखीरा

जम्मू कश्मीर  सेना के जवानों ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को दहलाने की साजिश को नाकाम कर दिया है। सुरक्षाबलों...

टीम इंडिया की हार नहीं देख सका रिटायर्ड पुलिस कर्मी… हार्ट अटैक ने ले ली जान

दमोह देश में 19 नवंबर को हुए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 का फाइनल मैच...

जवानों की शहादत का बदला, सेना ने रजौरी में एक आतंकवादी को मार गिराया

राजौरी जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में गुरुवार को भी आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ जारी रही। इस एनकाउंटर...

मोदी ने एशियाई चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन पर भारतीय पैरा तीरंदाजी टीम को बधाई दी

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशियाई पैरा तीरंदाजी चैम्पियनशिप में भारतीय दल के तालिका में शीर्ष पर रहने के...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।