शिवशंकर सोनपिपरे

अखिलेश यादव ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अतीक अहमद के पुलिस सुरक्षा में मारे जाने का सवाल उठाया

नई दिल्ली अखिलेश यादव ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अतीक अहमद के पुलिस सुरक्षा में मारे जाने...

रांची के एक अस्पताल में इलाज के दौरान प्रसूता महिला की मौत, आक्रोशित परिजनों ने जमकर हंगामा किया

रांची झारखंड की राजधानी रांची के एक अस्पताल में  इलाज के दौरान प्रसूता महिला की मौत हो गई। जिसके बाद...

उच्च न्यायालय ने किसान आत्महत्या संबंधी पोस्ट को लेकर सूर्या के विरूद्ध दर्ज प्राथमिकी खारिज की

बेंगलुरु कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष और...

सरकार ने 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों को राज्यसभा में विचार के लिए रखा

नई दिल्ली राज्यसभा में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 44,143 करोड़ रुपये के अतिरिक्त शुद्ध नकदी व्यय संबंधी अनुदान...

UP में इस बार जिले से जिले की बजाय स्कूल से स्कूल में ट्रांसफर की योजना, प्रक्रिया 31 दिसंबर से शुरू की जाएगी

  लखनऊ उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग ने परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को नए साल का तोहफा दिया है! छह महीने...

भीषण सड़क हादसा: ट्रक और पिकअप के बीच आमने-सामने की भिड़त, 2 लोग गंभीर रूप से घायल

सूरजपुर छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में अभी-अभी एक भीषण सड़क हादसा हो गया. प्रतापपुर-बलरामपुर मार्ग पर एक ट्रक और पिकअप में...

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व घूमने आए पर्यटक की हार्ट अटैक से मौत

उमरिया  कोलकाता से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व घूमने आए एक पर्यटक की मौत हो गई है। इस बारे में मिली जानकारी...

कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट दे सकता हैं आपके करियर को नई दिशा

फाइनेंशियल, सर्विस और इंडस्ट्रियल सेक्टर्स में लगातार विकास हो रहा हैं पर विकास की इस दौड़ में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट भी...

छिंदवाड़ा में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कन्हई राम रघुवंशी ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया

छिंदवाड़ा  दो बार छिंदवाड़ा के नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता कन्हाईराम रघुवंशी ने गणेश कॉलोनी स्थित...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।