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ऐतिहासिक पलः भारत की GDP पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार, जर्मनी को चौथे स्थान से हटाने की तैयारी

 नई दिल्ली भारतीय अर्थव्यवस्था ने आज बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रविवार (19 नवंबर) को भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि...

प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार ठाकुर जी के दर्शन करेंगे PM मोदी, वृंदावन के इस मंदिर में भक्तों की नो एंट्री!

वृंदावन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार ठाकुर बांके बिहारी जी के दर्शन करेंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री रहते नरेन्द्र मोदी 12...

फाइनल में भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया ने जीता टॉस, चुनी बॉलिंग

नई दिल्ली आज इंडिया वर्सेस ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा रहा...

आकाश चोपड़ा की धाकड़ भविष्यवाणी- IND ने 300 बनाया तो 50 रनों से जीतेगा

नई दिल्ली. आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 फाइनल मुकाबला भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आज अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम...

इजराइली PM बेंजामिन नेतन्याहू को गोली मार दी जाए, कांग्रेस सांसद का विवादित बयान; BJP ने राहुल को भी घेरा

नई दिल्ली. केरल से कांग्रेस पार्टी के सांसद राजमोहन उन्नीथन के एक बयान पर सियासी विवाद खड़ा हो गया है।...

भतीजे का फोन आया और साइबर अपराधियों ने लगा दिया लाखों का चूना, AI वॉइस स्कैम से कैसे ठगे जा रहे लोग?

नई दिल्ली. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जितना काम को आसान बनाने में सहयोगी हो सकती है उतनी ही खतरनाक भी है।...

IND vs AUS मैच के बीच 45 मिनट के लिए बंद रहेगा अहमदाबाद एयरपोर्ट

अहमदाबाद. आज गुजरात के अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।