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ऐतिहासिक इंडिया क्लब हो जाएगा बंद, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े होने के कारण काफी मशहूर

लंदन युनाइटेड किंगडम में करीब 70 साल बाद ऐतिहासिक घटनाक्रम हो रहा है। लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब 70 साल...

PM मोदी और CM योगी को सीमा हैदर ने भेजी राखी, रक्षाबंधन को लेकर कही ये बात

नईदिल्ली तीज का त्यौहार और नाग पंचमी मनाने के बाद अब पाकिस्तानी सीमा हैदर राखी का त्यौहार मनाने की तैयारियों...

पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में त्रिस्तरीय सत्यापन

अनाधिकृत व्यक्ति पकड़ा गया भोपाल मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल, भोपाल द्वारा पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2023 का आयोजन 12 अगस्त 2023...

एशियाई खेलों में कप्तानी करते समय धोनी से मिली सीख पर अमल करेंगे रुतुराज गायकवाड़

डबलिन रुतुराज गायकवाड़ का मानना है कि किसी टीम का नेतृत्व करना आसान काम नहीं है लेकिन वह अगले महीने...

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में बेकाबू आग, आपातकाल लागू

-येलोनाइफ शहर को खाली कराया गया, 13 देश कर रहे आग बुझाने में मदद विक्टोरिया कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य...

नागालैंड में Eye Flu से हाहाकार! तीन जिलों में 26 अगस्त तक बंद हुए स्कूल

दीमापुर आंखों के इंफेक्शन (conjunctivitis) के बढ़ते मामलों के बीच नागालैंड के तीन जिलों ने सोमवार से एक सप्ताह के...

हिमाचल प्रदेश में फिर तबाही का खतरा, एमपी समेत 7 राज्यों में होगी भारी बारिश; ऑरेंज अलर्ट जारी

नई दिल्ली हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को बारिश से राहत के आसार नहीं हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश और बिहार...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।