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नगरनार प्लांट ही नहीं बस्तर से एक मुट्ठी मिट्टी भी ले जाने की ताकत बीजेपी में नहीं : मुख्यमंत्री बघेल

जगदलपुर जगदलपुर में चुनावी जनसभा में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार की उपलब्धियां बताते हुए बीजेपी के दावों...

निठारी हत्याकांड: 17 साल बाद रिहा हुआ मोनिंदर सिंह पंढेर, जेल से निकलते ही जोड़े हाथ, लेने नहीं आया परिवार

नई दिल्ली   निठारी हत्याकांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल से रिहा...

संघ ने मध्यप्रदेश चुनाव की संभाली कमान? अब इस रणनीति के साथ बीजेपी मैदान में उतरेगी

भोपाल  एमपी में बीजेपी को चुनाव जिताने के लिए अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) शक्ति दिखाने जा रहा है।...

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इस दिन करोड़ों किसानों के खाते में आएंगे 15वीं किस्त के 2000? जानिए PM Kisan की अगली किस्त पर ताजा अपडेट

नईदिल्ली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के करोड़ों लाभार्थियों को जल्द दिवाली गिफ्ट मिलने वाला है, अगली किस्त जल्द जारी...

BJP विधानसभा चुनाव की लड़ाई में नहीं है :कमलनाथ

 भोपाल मध्य प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा जुबानी हमला...

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पीएम मोदी, शाह, नड्डा, राजनाथ बने भाजपा के स्टार प्रचारक

रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है। सभी पार्टियों के नेता और प्रत्याशी अपने स्तर पर वोट साधने...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।