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आज दमोह में प्रियंका वाड्रा जनसभा को करेंगी संबोधित, महिला वोटबैंक पर रहेगा फोकस

 दमोह कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज दमोह जिले में जनसभा को संबोधित करेंगी। बुंदेलखंड अंचल में यह...

छत्तीसगढ़ में भाजपा चुनाव नहीं लड़ रही है, यहां रमन सिंह के लोग चुनाव लड़ रहे हैं : बघेल

रायगढ़ बीजेपी किसान विरोधी है। केंद्र की मोदी सरकार तीन काले कृषि कानून लागू करती है, जिसके खिलाफ आंदोलन में...

छग विस चुनाव : कांग्रेस नेता राहुल गांधी 28 और 29 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ में, करेंगे सभा को संबाेधित

रायपुर कांग्रेस नेता राहुल गांधी 28 और 29 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ दौरे पर रहेंगे। जानकारी के अनुसार राहुल गांधी फरसगांव,...

राज्य में हरित पटाखों का ही होगा विक्रय एवं उपयोग, दीवाली में 2 घंटे ही फोड़ सकेंगे पटाखे

रायपुर राज्य में केवल हरित पटाखों का उपयोग एवं विक्रय ही हो सकेगा। साथ ही दीपावली, छठ, गुरू पर्व, नया...

कांग्रेस ने नियुक्त किया चुनावी प्रचार- प्रसार के लिए पर्यवेक्षक

रायपुर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी प्रचार- प्रसार...

राम मंदिर पर छिड़ी बहस कमलनाथ बोले- राम मंदिर पूरे देश का…

छिंदवाड़ा  कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि राम मंदिर पूरे देश...

राम मंदिर पर छिड़ी बहस कमलनाथ बोले- राम मंदिर पूरे देश का…

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सस्पेंस खत्म हुआ, इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी निशा बांगरे

भोपाल    छतरपुर की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर आखिरकार विराम लग गया है....

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।