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ऑस्ट्रेलिया की वर्ल्ड कप इतिहास की सबसे बड़ी जीत… नीदरलैंड्स को 309 रनों से हराया

नईदिल्ली ऑस्ट्रेलिया ने नीदरलैंड्स को दिल्ली में खेले गए मैच में 309 रनों से हरा दिया. यह विश्व कप इतिहास...

मिर्ची बाबा बुदनी में सीएम शिवराज के सामने चुनावी मैदान में उतर सकते हैं

भोपाल मध्य प्रदेश में चुनावी समर के बीच मिर्ची बाबा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर राजनीतिक सरगर्मी...

दिल्ली की तर्ज पर देहरादून में लागू हो सकती है ऑड-ईवन व्यवस्था, जाम से निजात की कवायद

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी देहरादून (Dehradun Odd Even Traffic) को जाम के झाम से निजात दिलाने के लिए पुलिस ने...

मुंबई के डायमंड कारोबारियों ने अपना व्यापार समेट सूरत पलायन शुरू किया

सूरत सरकार के बिना सहयोग सूरत के डायमंड कारोबारियों ने तकरीबन 3400 करोड़ रुपये के खर्चे से दुनिया का सबसे...

CG Assembly Election 2023: उम्‍मीदवार तय, जानें भाजपा-कांग्रेस ने कहां किसे उतारा

रायपुर छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद राज्‍य में चुनावी सरगर्मी जोरों पर है। भाजपा और कांग्रेस...

दूरदर्शन व आकाशवाणी पर मान्यता प्राप्त दलों को नि:शुल्क प्रसारण के लिए मिलेगा समय

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पीएम मोदी, शाह, नड्डा, राजनाथ बने भाजपा के स्टार प्रचारक

रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है। सभी पार्टियों के नेता और प्रत्याशी अपने स्तर पर वोट साधने...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।