पोल्ट्री व्यवसाय को 2000 करोड़ का नुकसान, छोटे पोल्ट्री किसानों को ब्याज मुक्त ऋण दे सरकार : किसान सभा
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कोरोना संकट के चलते पोल्ट्री व्यवसाय को 2000 करोड़ रूपयों का नुकसान होने की बात कहते हुए इस व्यवसाय को पुनः जिंदा करने के लिए छोटे पोल्ट्री किसानों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने की मांग सरकार से की है।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के राज्य *अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि प्रदेश में 10 लाख छोटे किसानों की आजीविका का एक बड़ा स्रोत पोल्ट्री फार्मिंग है। मुर्गियों से कोरोना फैलने की अफवाह के चलते व्यवसाय ठप होने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस दौरान उन्हें 100 रुपये किलो बिकने वाला जिंदा चिकन 10 रुपये में बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा है या फिर उन्हें अपनी मुर्गियां नष्ट करनी पड़ी है। इस प्रकार पिछले एक-डेढ़ माह में उन्हें लगभग 15 लाख मुर्गियों का नुकसान उठाना पड़ा हैं, जिनकी बाजार कीमत लगभग 30 करोड़ रुपये थी। इसी प्रकार अंडा उत्पादन का भी भारी नुकसान हो रहा है और आगामी अगस्त तक 1000 करोड़ अंडों का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिसके चलते उन्हें 2000 करोड़ का नुकसान होगा। इस प्रकार छोटे पोल्ट्री किसानों को 2000 करोड़ रुपयों से अधिक का नुकसान होने जा रहा है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी का मुर्गियों से कोई संबंध नहीं है, लेकिन इस बारे में उड़ाई गई अफवाह का खंडन करने में सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजे में पूरा पोल्ट्री व्यवसाय ठप हो गया और 10 लाख छोटे पोल्ट्री किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हर वर्ष लगभग 18000 टन पोल्ट्री-मुर्गियों के मांस का और 2000 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है। इस प्रकार पोल्ट्री व्यवसाय का हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 10000 करोड़ रुपयों से ज्यादा का योगदान है। इस योगदान का अधिकांश छोटे किसानों के जरिए ही आता है। ऐसे में यह जरूरी है कि इन छोटे किसानों को राज्य की सहायता मिले, जिससे इस व्यवसाय को दोबारा ज़िंदा किया जा सके।
किसान सभा नेताओं ने इन छोटे किसानों को पोल्ट्री व्यवसाय में पुनः स्थापित करने के लिए उन्हें ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने की मांग की है।