धान बीज की कीमतों में की गई वृद्धि वापस लेने की मांग, किसान सभा ने कहा : खाद्यान्न सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए खतरा

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छत्तीसगढ़ किसान सभा ने बीज विकास निगम द्वारा धान के बीजों की कीमतों में वृद्धि का विरोध किया है और इसे वापस लेने की मांग की है। किसान सभा ने कहा है कि इससे कोरोना संकट से बर्बाद किसान धान उत्पादन के प्रति हतोत्साहित होंगे, जिससे प्रदेश की खाद्यान्न सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए खतरा पैदा होगा।

उल्लेखनीय है कि बीज विकास निगम ने विभिन्न श्रेणी के धान बीजों की कीमतों में इस वर्ष 100 रुपये से लेकर 250 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की है। पिछले वर्ष भी इनकी कीमतों में वृद्धि की गई थी। छग किसान सभा के *राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता* ने आज यहां जारी एक बयान में बताया है कि वर्ष 2018 की कीमतों की तुलना में यह वृद्धि 400 रुपये से लेकर 650 रुपये प्रति क्विंटल तक की है, जबकि इन दो वर्षों के दौरान धान की कीमतों में औसत वृद्धि महज 3.7% ही रही है।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि इस वर्ष रबी मौसम में पहले आंधी, असमय बारिश और ओलावृष्टि ने और बाद में कोरोना महामारी के कारण किये गए अनियोजित लॉक डाऊन ने खेती-किसानी को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है और राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका इतना नकारात्मक प्रभाव पड़ा है कि राज्य की सहायता के बिना किसान आगामी खरीफ मौसम की खेती करने के लायक नहीं रह गए हैं। खेती और आजीविका को हुए नुकसान के कारण वे बैंकिंग व महाजनी कर्ज़ में फंस गए हैं, सो अलग! ऐसे समय में बीज निगम द्वारा किसानों को राहत देने के बजाए मोटे, पतले और सुगंधित धान बीज की कीमतों में 22% से 29% तक की भारी वृद्धि करना किसानों के प्रति उसकी संवेदनहीनता को ही बताता है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप कर धान बीजों के मूल्य में की गई इस भारी वृद्धि को वापस लेने की मांग की है। किसान सभा ने कहा है कि यदि प्रदेश में खाद्य सुरक्षा तथा आत्मनिर्भरता की रक्षा करना है और किसानों को बर्बादी से रोकना है, तो खेती-किसानी को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश करना होगा।

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