कोरोना से लड़ने सरकारी संदेश राजनैतिक दिवालियेपन की निशानी : माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के सरकारी संदेश को राजनैतिक दिवालियेपन की निशानी बताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने देश की जनता को उसके हाल पर ‘संकल्प और संयम’ के भरोसे छोड़ दिया है और उससे ‘थाली और ताली पिटवाने’ का गैर-वैज्ञानिक काम करवाना चाहती है। माकपा ने कहा है कि यह वही सरकार है, जिसने लगातार स्वास्थ्य बजट में बड़ी कटौती की है और जिसमें एम्स के आबंटन में इस वर्ष 100 करोड़ रुपयों की कटौती भी शामिल है। जब देश में यह महामारी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के तीसरे चरण में पहुंचने जा रही है और पूरी दुनिया इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बहाल करने और इससे प्रभावित लोगों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रही है, मोदी के संदेश में आम जनता को जमीनी मदद करने के बजाए, बतकही और जुमलेबाजी के सिवा कुछ नहीं है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का संदेश भी इन्हीं अर्थों में निराशाजनक है, जहां इस महामारी से लड़ने के लिए मुकाबले की बतकही तो है, लेकिन इसके लिए जरूरी सैनिटाइजर, मास्क और साबुन के घोर किल्लत और उसकी कालबाजारी पर चुप्पी छाई हुई है। इस महामारी से निपटने राज्य सरकार जिस तरह के कदम उठाने का ढिंढोरा पीट रही है और पुलिस प्रशासन रेहड़ी-पटरी पर रोजाना कमाने-खाने वालों और छोटे दुकानदारों पर टूट पड़ा है, उससे आम जनता में दहशत का वातावरण बन गया है और बाजार में अफरा-तफरी फैलने और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं के अभाव के साथ ही कालाबाजारी भी शुरू हो गई है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने प्रदेश के एकमात्र पॉजिटिव मामले की पहचान उजागर करने का प्रशासन पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एम्स का रिकॉर्ड यह बताता है कि संबंधित मरीज की चिकित्सा के मामले में घोर लापरवाही बरती गई है और यह हमारे प्रदेश के बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर है, जो मुख्यमंत्री की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के दावे के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि इस महामारी का सबसे बड़ा हमला आम जनता की रोजी-रोटी पर हो रहा है, जो ‘घर से काम’ करने में असमर्थ हैं। उनकी आय में गिरावट आने से भुखमरी बढ़ेगी और उनकी प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आएगी, जबकि इस महामारी से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखना बहुत जरूरी है। अतः रोज कमाने-खाने वाले लोगों के आर्थिक नुकसान की भरपाई करना बहुत जरूरी है, ताकि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ के उपाय को सफल किया जा सके।
माकपा नेता पराते ने मांग की है कि राज्य की कांग्रेस सरकार भी केरल सरकार के 20000 करोड़ रुपयों के आर्थिक पैकेज की तर्ज़ पर प्रदेश के सभी नागरिकों को महीने भर का राशन, बिजली और पानी मुफ्त उपलब्ध करवाए (इस काम के लिए राज्य सरकार के पास अतिरिक्त भंडार है।), असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और गरीब किसान परिवारों को एकमुश्त आर्थिक मदद दें, सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को दो माह का अग्रिम अतिरिक्त पेंशन भुगतान करें, मनरेगा में बड़े पैमाने पर काम दें और काम के बदले अनाज योजना शुरू करें तथा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त आबंटन जारी करें। उन्होंने कहा कि इन समावेशी कदमों पर अमल करने के लिए राज्य सरकार को आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, तभी प्रदेश में कोरोना के हमले का डटकर मुकाबला करने के उपायों पर अमल हो पायेगा।