भालू के मल को बाघ का मल बता रहा है वन विभाग, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ साबित करने अधिकारी अपना रहे है हथकंडे – शिवशंकर सोनपीपरे एवं इतेश सोनी

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भालू के मल को बाघ का मल बता रहा है वन विभाग, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ साबित करने अधिकारी अपना रहे है हथकंडे – शिवशंकर सोनपीपरे एवं इतेश सोनी

रायपुर | प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर व बाघ रिसर्चकर्ता तीव कुमार सोनी ने उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व का रिसर्च कर शासन को बताया था की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है | बाघ रिसर्चकर्ता तीव कुमार सोनी ने उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ नहीं होने की रिसर्च रिपोर्ट शासन और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण – N.T.C.A. को भेजी थी | परिक्षण में शासन और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण – N.T.C.A. ने उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ नहीं होने की बात को सही पाया और उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के 90% बजट को बंद कर दिया गया है और अधिकारियों पर भारी दबाव बनाया गया है | प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी को जानकारी मिली थी की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ का सबुत पैदा करने के लिए बाहर से बाघ का मल और पंजा वन विभाग के द्वारा लाया गया है जिसे वो उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाघ का मल और पंजा होना बता कर शासन और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण – N.T.C.A. को भेजे है | इसके साथ ही जानकारी मिली थी की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल से भालू के मल को एकत्र कर लाया गया है और भालू के मल को बाघ का मल बता कर शासन को प्रस्तुत करने वाले है | इसके बाद प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी ने रिसर्च टीम गठित कर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल में जांच पड़ताल किये , जिसमे पाया गया है की वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगल से भालू के मल को एकत्र कर लाया है और भालू के मल को बाघ का मल बता कर शासन को प्रस्तुत करने वाले है |   

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के रिसर्च टीम ने किया था जांच पड़ताल –   

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर व बाघ रिसर्चकर्ता तीव कुमार सोनी की अगुवाई में विशेषज्ञों की रिसर्च टीम उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगलो के अंदर गयी थी और बाघ की मौजुदगी के संबंध में गहन जांच पड़ताल किये थे | रिसर्च टीम में प्रदेश संयोजक शिवशंकर सोनपीपरे, वन भैसा विशेषज्ञ प्रवीण देवांगन, हाथी विशेषज्ञ संजय त्रिवेदी, ब्लेक पैंथर विशेषज्ञ राधे पटेल, कृषि विशेषज्ञ ढलेन्द्र साहू शामिल थे | रिसर्च टीम ने पुरे जंगल का पड़ताल किये उन्हें कभी भी बाघ का कोई भी प्रमाण नहीं मिला है | पुरे जंगल क्षेत्र में भालू का मल कई स्थानों में पाया गया है | चर्चा करने पर वहा के निवासियों ने बताया की पुरे जंगल में भारी संख्या में भालू पाए जाते है इस कारण जगह जगह भालू के मल मिल जाते है | वन विभाग के कर्मचारी इन्ही भालुओ के मल को एकत्र कर ले गए है | भालू का मल लाने की बात पता चलने पर वन विभाग को पूछा गया की भालू के मल को क्यों लाया गया है तब उनके द्वारा बताया गया है की कही से भी भालू के मल को नहीं लाया गया है, जंगल से केवल बाघ के मल को ही लाया गया है | इस प्रकार भालू के मल को बाघ का मल बता कर वन विभाग शासन को गुमराह कर रहा है | प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के रिसर्च टीम ने इसकी शिकायत शासन से करने की बात कही है |

वनकर्मियों को भालू के मल और बाघ के मल में अंतर पता ही नहीं है –

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगलो में भालू भारी संख्या में है बाघ एक भी नहीं है | मल एकत्र करने के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं जाता है केवल वन विभाग का एक अप्रशिक्षित वन कर्मी ही मल को एकत्र कर लाता है | उक्त अप्रशिक्षित वन कर्मी को भालू और बाघ के मल में क्या अंतर होता है ये पता ही नहीं होता है | जो मल सामान्य जानवरों से अलग दीखता है उसी मल को अप्रशिक्षित वन कर्मी ले आता है और वन विभाग के अधिकारी बिना जांच पड़ताल के बाघ का मल होना बता देते है | इस प्रकार उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में भालू के मल को बाघ का मल बता कर शासन को गुमराह किया जा रहा है |

बाघ का मल
भालू का मल
बाघ का मल
भालू का मल

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