श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण जन्म से मथुरा बना जमरूवा

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“ईश्वर भक्ति के लिए अभिमान का त्याग आवश्यक है” -भरत मुनि महाराज


ग्राम जमरूवा में अधिवक्ता सेवंत साहु एवं समस्त ग्राम वासियों के संयुक्त तत्वाधान में गुप्त नवरात्रि के अवसर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पाचवें दिन भागवत कथा के दौरान व्यासपीठ से भरत मुनि महाराज उदासीन ने भागवत कथा के महात्म पर प्रकाश डाला।पूज्य महाराज के श्री मुख से आयोजित भक्ति रस पान के पुण्य धारा के पांचवे दिन ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओ का रोचक वर्णन किया | सर्वप्रथम कथा के मुख्य यजमान अधिवक्ता सेवंत साहु एवं उनकी धर्मपत्नी शिक्षिका श्रीमती पद्मिनी साहू ने भागवत व व्यास पूजन कर पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया | पूज्य महाराज श्री ने बताया कि पापी व्यक्ति भागवत कथा को नहीं सुन सकता | जिस पर प्रभु की कृपा होती है वही कथा को सुन पाते है | पूज्य महाराज श्री ने कहा कि जीवन में अभिमान से बचना चाहिए | उन्होंने गोपियों का उदाहरण देते हुए बताया कि जब गोपियों को अभिमानं हुआ तो कृष्ण उन्हें छोड़कर चले गए | ठीक उसी प्रकार जब हमें किसी वस्तु पर अभिमान हो जाता है तो भगवान उसे छीन लेते है | पूज्य महाराज श्री ने कहा कि रिश्ता बनाना ही है तो प्रभु के साथ बनाइए | भगवान के साथ बनाया हुआ रिश्ता अमर हो जाता है और जब हम पर संकट आते है तो भगवान उस रिश्ते को निभाने के लिए हमारे साथ खड़े हो रहते है , व हमारी सहायता करते है | उन्होंने ये भी बताया कि जिस प्रकार एक अबोध बालक का अपनी माँ के प्रति प्रेम नि : स्वार्थ होता है उसी तरह हमारा प्रेम भी प्रभु के प्रति प्रेम नि : स्वार्थ होना चाहिए | यह सीख पूज्य महराज श्री ने भागवत कथा के दौरान दी |
: “भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए ” ऐसा पूज्य महाराज श्री ने कथा के दौरान कहा | आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में हर दिन भक्तो की संख्या बड़ी जा रही है | कथा के पांचवें दिन पूज्य महराज श्री ने नटखट नंदलाल की बाल लीलाओं का वर्णन किया | साथ ही भक्तो में परमात्मा के प्रति प्रेम व विश्वास का भाव जगाया | पूज्य महाराज श्री ने बताया कि लोग संसार व सांसारिक रिश्तो में ही उलझ कर रह जाते है |सारे रिश्ते – नाते , सम्पति , भोग -विलास कि सामग्री सब खिलौने के समान है | हम आये है ईश्वर के यहाँ से और वही ही जायेगे और यही सत्य है , इसलिए रिश्ता बनाओ तो भगवान के साथ बनाओ क्योंकि भगवान के साथ बनाया हुआ रिश्ता अमर होता है और संकट आने पर प्रभु ही हमारी रक्षा करते है | पूज्य महराज श्री ने बताया कि भक्ति में कोई दिखावा नहीं होना चाहिए | जब जीव सच्ची श्रद्धा और बिना दिखावा के साथ भक्ति करता है तो प्रभु उसके जीवन के साथ – साथ मृत्यु भी सवांर देते है | उन्होंने ये भी कहा कि हमें भगवान में विश्वास रखना चाहिए फिर कुछ भी सम्भव है | यह महत्वपूर्ण बातें पूज्य महाराज श्री ने भागवत कथा में बताई |
भगवान भाव के भिखारी है | उन्हें न पैसे चाहिए , न ही पावर जिस भक्त ने भाव से प्रभु को पुकारा , वे दौड़े चले जाते | प्रभु के पास धन या पावर से नहीं पहुंचा जा सकता है | यह बातें रविवार को पूज्य महाराज श्री ने जिले के ग्राम जमरवा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कही | उन्होंने बताया कि प्रभु का छल -कपट पसंद नहीं है | प्रभु कपटी और अभिमानी व्यक्ति को अपने से दूर कर देते है | श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्मोउत्सव काफी धूमधाम से मनाया गया | श्रद्धालु पूज्य महाराज श्री के द्वारा गाये गए संगीतमय भजनो पर झूमते दिखाई दिए |

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