मनरेगा से स्वीकृत तालाब गहरीकरण कार्य करने जेसीबी से खुदाईतो मनरेगा मजदूरी देगा किसको – इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद
इतेश सोनी जिला ब्यूरो प्रमुख गरियाबंद
छुरा:-गरियाबंद जिला में मनरेगा के कार्यों में मनमर्जी की इबारत लिखने का काम वर्षों से जारी है। जनपद में मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने तो अपने आपको ईमानदारी का जीता जागता उदाहरण पेस कर चुके है, लेकिन उनके अधीनस्थों पर वो लगाम लगाने में हमेशा ही असफल रहे हैं। मनरेगा में आधे से अधिक काम नियम विरूद्ध सहित दलालो के माध्यम से हो रहा है और जिला प्रशसन का कोई प्रभाव भी देखने को नहीं मिल रहा,कियूँ की जिले स्तर के अधिकारियों द्वारा शिकायत करने के उपरांत भी ना तो कभी जांच कराई जाती है ना ही कोई कार्यवाही की जाती जिससे मनरेगा के कार्यों में मनमर्जी और फर्जी बिल बाउचर का खुल्ला खेल चल रहा हैं।बताना लाजमी होगा कि विकास खण्ड छुरा ग्राम पंचायत बोर्रा बाँधा (ब)अंतर्गत मनरेगा के तहत गोठान तालाब गहरीकरण में कार्य दिनांक 02-12-2019 को स्वीकृत हुआ है,जिसकी स्वीकृत राशि 4.678 है जिसका मास्टर रोल 16-01-2020 को मनरेगा शाखा से जारी होते ही मनरेगा के नियमों को ठेंगा दिखाते हुये रोजगार सहायक, सरपंच ,सचिव व ग्रामीणों की मिली भगत से रात 10 जेसीबी मशीन द्वारा खुदाई करवाया जा रहा है जो कि नियम विरुद्ध है। शासन द्वारा ग्रामीण मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए ग्रामों में रोजगार गारंटी के तहत सड़क निर्माण, तालाब गहरीकरण, सीसी रोड से काम ग्राम पंचायतों द्वारा कराया जाता है लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मनमानी कर मजदूरों का हक छीना जा रहा हैं। गोठान तालाब का गहरीकरण कार्य मनरेगा द्वारा स्वीकृत किया गया है।चूंकि मनरेगा मजदूर आधारित योजना है, इसमें मिट्टी के कार्यों को प्राथमिकता देते हुये किसी भी प्रकार की मशीनरी का इस्तेमाल नहीं किया जाना था। किंतु ग्राम पंचायत में तालाब निर्माण के लिये उपयंत्री को धोखे में रखकर बेखौफ तरीके से जेसीबी मशीन का उपयोग रात में कर तालाब का गहरीकरण करवाया जा रहा है। जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का खुले तौर पर उल्लंघन हैं।मनरेगा में मजदूर आधारित काम होते हुये मजदूरी का भुगतान मजदूरों के खाते में जमा होता है। गौरतलब है कि जिस तालाब के गहरीकरण में मजदूर अपना खून-पसीना बहाते और उन्हें कुछ दिनों का रोजगार नसीब होता जिससे वो अपनी रोजी रोटी चला सकते थे। वैसे भी इन दिनों मनरेगा में निर्माण कार्य की स्थिति जिले में लगभग न के बराबर है। ऐसे में क्षेत्र में मजदूरों के पेट पर डाका डालने का प्रयास सचिव,सरपंच, रोजगार सहायक और गांव के कुछ तथाकथित जनसेवक की देखरेख में रात के समय मे किया जा रहा है। क्या इस मामले में प्रशासन जिम्मदारों पर मेहरबानी बरतेगा या फिर कोई कार्यवाही करेगा यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
जबकि मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड धारकों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन जॉब की गारंटी सरकार द्वारा दी जाती है। लेकिन,ग्राम पंचायत बोर्राबांधा (ब)में रोजगार सहायक और ग्राम के कुछ तथाकथित कर्णधारों की मिलीभगत से मनरेगा योजना के तहत संचालित योजनाओं में जेसीबी मशीन के माध्यम से कार्य करवाया जा रहा है। कार्य पूर्ण होने के बाद फर्जी तरीके से पैसे की निकासी कर उसका बंदरबाट कर लिया लिया जायेगा। कार्य करने के पूर्व स्थल पर योजना का बोर्ड भी नहीं लगाया गया है, जिससे लोगों को योजना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं मिल सके है।सूत्रों की मान तो जब पैसे की निकासी हो जाती है उसके बाद ही उस योजना का बोर्ड लगाया जाता है, मनरेगा योजना में जेसीबी मशीन से काम किए जाने नियम विरुद्ध है, ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मुखिया और कुछ बिचौलियों की मदद से मजदूर के स्थान पर मशीन से काम करवा कर अवैध निकासी करने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में सरपंच को पता ही नही है कि गोठान तालाब में क्या कार्य चल रहा है और जेसीबी किसकी है।
क्या कहते है जिम्मेदार
लालसिंह निषाद रोजगार सहायक बोड़राबांधा(ब)से चर्चा करने पर उन्होनें कहा कि गाँव वाले अपने मन से कर रहे हैं वो काम मुझे मालूम नही था मौके की जानकारी लेता हूं फ़िलहाल कार्य बंद है मैं आपको जनता हूँ सर सरपंच से बात करता हूँ फिर आपसे मिलता हूँ।
इस संबंध में रमेश कुमार मरकाम प्रोग्राम अधिकारी जनपद पंचायत छुरा से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि मौके का निरीक्षण कर जानकारी लेता हूँ गलत नियत और नियम विरुद्ध कार्य या जेसीबी मशीन से कार्य किया जा रहा है तो उक्त कार्य का किसी तरह का भुगतान नही किया जायेगा ।
जनपद सीईओ नारद कुमार मांझी से इस विषय पर चर्चा करने के लिए जनपद कार्यालय में भी घण्टो तक हमारे संवाददाता जनपद में मौजूद रहे किन्तु सीईओ अपने कार्यालय से नदारद थे कारण अज्ञात है,जिनको कल से दूरभाष से सम्पर्क किया जा रहा है फिर भी उनका जवाब अभी तक नही मिल पाया है।