बजट के लालच में NTCA को भेजी गयी है 5 बाघ होने की झूठी रिपोर्ट, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है एक भी बाघ – तीव कुमार सोनी एवं शिवशंकर सोनपिपरे
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है एक भी बाघ, बजट के लालच में NTCA को भेजी गयी है 5 बाघ होने की झूठी रिपोर्ट – तीव कुमार सोनी एवं शिवशंकर सोनपिपरे
मैनपुर | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है, बाघ होने की झूठी जानकारी दे दे कर वन विभाग ने दस साल में 30 – 40 करोड़ से भी जाड़ा राशि खर्च कर चुका है | करोडो खर्च करने के बाद भी आज तक वन विभाग को बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है | वर्ष 2017 में जो बाघ का फोटो वन विभाग ने प्रस्तुत किया गया था वो फोटो फर्जी था | उड़ीसा के बाघों को अपना बाघ होने का ढिंढोरा पिट कर वन विभाग ने शासन प्रशासन को गुमराह किया था | वन विभाग उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ होने की झूठी जानकारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण – NTCA को सालो से देता आ रहा है | वन विभाग ने करोडो के बजट के लालच में इस बार भी शासन प्रशासन और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में 5 बाघ होने की झूठी जानकारी भेजा है, जबकि उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है | बाघ का फर्जी फोटो दे कर बाघ होने का दावा नहीं किया जा सकता है | बाघ को प्रमाणित करने के लिए उसके वंशावली की जानकारी देना होगा, बाघ कहा से आये बताना होगा, 10 साल से बाघ है तो 10 साल के बाघों के पंजो का रिकार्ड देना होगा, 10 साल से बाघों का मल का प्रमाण देना होगा, 10 साल से बाघ ने किन जानवरों का शिकार किया उनका कंकाल कहा है जानकारी देना होगा, 10 साल से बाघ है तो क्या बाघ नपुंशक है जो उनकी वंश वृद्धि नहीं हो रही है की जानकारी देना होगा, 5 बाघ है तो आज तक किसी ने आंखो से क्यों नहीं देखा बताना होगा, 5 बाघ है तो आज तक उन बाघों का नामकरण क्यों नहीं किया गया है बताना होगा, 5 बाघ है तो कितने नर कितने मादा है बताना होगा | कम्यूटर में बाघ का फर्जी फोटो बना लेने से बाघ प्रमाणित नहीं होता है |
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है बाघ, गरियाबंद वन मंडल और सोनाबेड़ा में है बाघ
प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के सदस्यों के द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पुरे जंगलो का सर्वे किया गया है जिसमे पाया गया है की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आरम्भ से ही कोई भी बाघ नहीं है, इसीलिए उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आज तक बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है | बाघ तो उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाहर के जंगलो में पाया जाता है | वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के जंगलो में बाघ पाए जाते है | दरअसल उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व का गलत सीमा निर्धारण किया गया है | जिन वन परिक्षेत्रो में बाघ पाये जाते है उन वन परिक्षेत्रो को टाईगर रिजर्व में शामिल ही नहीं किया गया है और जिन वन परिक्षेत्रो में बाघ नहीं पाये जाते है उन वन परीक्षेत्रो को टाईगर रिजर्व में शामिल कर दिया गया है | बाघ मुख्य रूप से वन मंडल गरियाबंद के दो सर्कल व उड़ीसा – सोनाबेडा अभ्यारण्य के एक सर्कल में पाया जाता है | इन सर्कलो में 4 से 6 बाघ है जिसका विवरण निम्नानुसार है : –
सर्कल 01 – गोबरा, भाठीगढ़ सर्कल में 1 से 2 बाघ का है | ( वन परिक्षेत्र मैनपुर)
सर्कल 02 – दबनई,सिंहार,सिकासार,धवलपुर,नवागढ़ सर्कल में 2 से 3 बाघ है
सर्कल 03 – सोनाबेडा अभ्यारण्य ( उड़ीसा ) में 2 से 3 बाघ है |
गरियाबंद वन मंडल के मैनपुर, धवलपुर, नवागढ़ रेंज में बाघ है अत: इन रेंजो को टाईगर रिजर्व में शामिल करना चाहिए
वन मंडल गरियाबंद का वन परिक्षेत्र मैनपुर, वन परिक्षेत्र धवलपुर, वन परिक्षेत्र नवागढ़ और उड़ीसा का सोनाबेडा अभ्यारण्य बाघों का मुख्य ठिकाना है | टाईगर रिजर्व का कोर एरिया तो वन परिक्षेत्र मैनपुर, धवलपुर, नवागढ़ को बनाया जाना चाहिए | वन परिक्षेत्र मैनपुर में आदमखोर बाघ ने 15 लोगो को मार डाला था तथा वन परिक्षेत्र मैनपुर से पूर्व में 4 बाघ भी पकडे गए है उन बाघों के वंशज आज भी इन्ही जंगलो में रहते आ रहे है | साथ ही वन मंडल गरियाबंद व सोनाबेडा अभ्यारण्य के बाघ युवा होने पर प्रत्येक 4 – 5 साल में प्रजनन काल के दौरान वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट के ओंड, कुकरार, ताराझार के रास्ते साथी की तलाश में आना जाना करते है | इसलिए कभी कभार ओंड, कुकरार, ताराझर में बाघ के मल व पंजा का निशान मिल जाता है | वो बाघ वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के है | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व और वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट में कोई भी बाघ नहीं है |
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है , बजट के लालच में NTCA को झूठी रिपोर्ट भेजी गयी है उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में 5 बाघ होने की रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी है और वन विभाग ने बाघ का जो प्रमाण प्रस्तुत किये है वो पूरा फर्जी है |