मनरेगा : फिसड्डीयों में अव्वल का जश्न मना रही है कांग्रेस सरकार, 8 जनवरी को ग्रामीण बंद का मनरेगा होगा मुद्दा

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एक स्कूल में 100 बच्चे थे, जिसमें से 10 पास हुए, वह भी थर्ड डिवीज़न। पहले स्थान पर आए बच्चे के पास भी केवल 35% अंक ही थे। प्रशासन को स्कूल के औसत रिजल्ट की चिंता थी न स्कूल की बदहाली की, और पालक अपने बच्चों के टॉपर होने का जश्न मना रहे थे। यही हाल छत्तीसगढ़ में मनरेगा का है, जहां कांग्रेस सरकार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से पुरस्कृत होकर फिसड्डीयों में अव्वल होने का जश्न मना रही है।

यह व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने, मनरेगा की कथित उपलब्धियों पर कांग्रेस सरकार द्वारा किये जा रहे आत्मप्रचार पर। उन्होंने कहा है कि मनरेगा की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ें ही इन उपलब्धियों की पोल खोलने के लिए काफी है और इस मामले में कांग्रेस सरकार का रिकॉर्ड भाजपा से अलग नहीं है।

आज यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा है कि पूरे प्रदेश में मनरेगा में कार्य करने के लिये 39 लाख से ज्यादा परिवार पंजीकृत हैं, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में केवल 62%परिवारों को ही रोजगार दिया गया और इसका भी औसत केवल 40 दिन के आसपास है, जबकि वादा था 150 दिन काम उपलब्ध कराने का। पिछले वित्तीय वर्ष में 4.28 लाख परिवारों को 100 दिन का काम दिया गया था, जबकि इस वित्तीय वर्ष के नौ महीनों में केवल 83 हजार परिवारों को ही सौ दिनों का काम मिला है, जो पिछले वर्ष की तुलना में केवल 19% ही है और रोजगार की चाह रखने वाले पंजीकृत परिवारों का मात्र 2% ही। इस रफ्तार से केवल फर्जी मस्टररोल के जरिये ही पिछले वर्ष की बराबरी की जा सकेगी।

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि पिछले कामों की 300 करोड़ रुपयों का मजदूरी भुगतान अभी तक बकाया है और समय पर मजदूरी भुगतान के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में 15 वें स्थान पर है। प्रदेश में मनरेगा में दैनिक मजदूरी भी देश में सबसे कम है और असंगठित क्षेत्र के अकुशल मजदूरों के बराबर भी नहीं है।

किसान सभा ने कहा है कि देश में जो मंदी है, उससे निपटने का कारगर उपाय मनरेगा है। लेकिन गांवों में रोजगार सृजन के जरिये ग्रामीण जनता को राहत पहुंचाने में न तो केंद्र की भाजपा सरकार की दिलचस्पी है, न राज्य की कांग्रेस सरकार की। उल्टे इस मद पर बजट आबंटन में लगातार कटौती ही हो रही है। इस नीति के खिलाफ छत्तीसगढ़ की ग्रामीण जनता 8 जनवरी को गांव बंद करके विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करेगी।

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