उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में हाथियो की धूम, पर टाईगर रिजर्व से बाघ हो गया है गुम – तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी

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उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में हाथियो की धूम, पर टाईगर रिजर्व से बाघ हो गया है गुम – तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी

मैनपुर | पिछले 3 – 4 साल से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व मेंहाथियों की धूम मची हुई है परन्तु टाईगर रिजर्व से बाघ गुम हो गया है | तीन – चार साल से उड़ीसा के हाथी लगातार टाईगर रिजर्व के जंगलो में आ जा रहे है परन्तु बाघ का कही भी पता नहीं चल रहा है | बाघ का केवल वन विभाग के अधिकारियों के बयान में ही पता चलता है जो की बाघ के प्रमाण नहीं मिलने के बाद भी टाईगर रिजर्व में बाघ होने का लगातार दावा करते रहते है |

बाघ का तो पता नहीं पर 30 – 35 हाथी आ धमके टाईगर रिजर्व के जंगल में

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ का कोई भी पता नहीं है पर अभी पछले शनिवार को सुबह 5 बजे अचानक लगभग 30-35 की संख्या में दो हाथियों का दल चिंघाड़ते हुए ग्राम ओंड में प्रवेश कर गया। अचानक हाथियों की चिंघाड़ सुन ग्रामीण जान बचाने सरकारी भवनों पर चढ़ गए तो कोई घरों में दुबक गया। सुबह 5 बजे पहुंचा हाथियों का दल अपने साथी शावक को छुड़ा ले गया, उनसे बिछड़कर यहां रह गया था। उल्लेखनीय है कि उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट पहाड़ी पर पिछले एक माह तक 20-25 हाथी फसल रौंदकर वापस ओडिशा की तरफ चले गए थे लेकिन 4 साल का शावक अस्वस्थ रहने के कारण आमामोरा ओड़ के जंगल में रह गया था।
हाथी के बच्चे को वापस लेने आये थे हाथी
बीमार हाथी के शावक को डॉक्टरों की टीम ने पहाड़ी पर उसकी इलाज कर उसे ठीक कर दिया था। दल से बिछड़े इस शावक को महावतों की मदद से वन विभाग ओंड के विश्राम गृह तक ले आया था। इतनी बड़ी संख्या में हाथियों को देख महावतों को भी पसीना छूट गया, वे भी सरकारी मकानों की छतों पर चढ़ गए। योजनाबद्ध तरीके से पहुंचे हाथी सीधे अपने बिछड़े शावक के पास पहुंचे और उसे चारों तरफ से घेर लिया। लगभग एक घंटे तक हाथी शावक को घेरे रहे और अपने सुरक्षा घेरे के बीच गांव की मुख्य गली को पार कर वे उसे अपने साथ ले गए। हाथियों का दल 6.30 बजे तक ग्राम ओंड में रूका रहा। इस दौरान हाथियों ने गांव के एक शौचालय को बुरी तरह से तोड़ फोड़ दिया, साथ ही कुछ किसानो के खलिहानों में रखे धान को भी नुकसान पहुंचाया और जंगल की तरफ लौट गए।
हाथियों के आने से जान बचा कर भागे ग्रामीण
फरसरा के राकेश राठौर अपने परिवार के साथ बमुश्किल जान बचाते हुए भागे। उन्होंने बताया कि हाथियों का झुंड अचानक सामने चिंघाड़ते हुए सामने आया और पूरे गांव को घेरकर तोड़फोड़ करते हुए जंगल की तरफ निकल गया। ग्रामीण दशरथ सिंह, मंगलराम, सोमारू राम कमार, रोशन कुमार लीलेश यादव, भागतव यादव, जगत नेताम ने बताया कि वे प्रतिदिन की तरह शनिवार को सुबह 4-5 बजे जाग गए थे और कुछ ग्रामीण हैंडपंपों से पानी ला रहे थे कि अचानक हाथियों की चिंघाड़ सुनकर पूरा गांव दहशत में आ गया। उनसे बचने लोग घरों में दुबग गए और कई ग्रामीण पेड़ों पर चढ़ गए।

मादा हाथी घंटेभर दुलारती रही अपने शावक को

ग्रामीणों ने बताया कि इस दौरान एक मादा हाथी सीधे जाकर बिछड़े शावक से मिली और उसे सूंड से सहलाने लगी। इस दौरान हाथियोें के झुण्ड ने बिछड़े शावक को चारों तरफ से घेरे रखा था, पूरे समय मादा हाथी उसे दुलारती रही। खबर पाकर वन विभाग के एसडीओ पीआर ध्रुव, वन परिक्षेत्र अधिकारी सुदर्शन नेताम व वन अमला तत्काल ग्राम ओंड पहुंचा। नेताम ने बताया लगभग 46 किसानों के फसल मुआवजा प्रकरण की राशि स्वीकृत हो गई है जिन्हें एक सप्ताह के भीतर वितरण कर दिया जाएगा। इस बीच दो दिन पहले ही फिर एक बार हाथियों के नए दल के सिकासार जलाशय के समीप देखे जाने की जानकारी मिली थी।

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