आर्थिक नाकेबंदी पर केंद्र-राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति, जानिए पड़ेगा क्या असर
रायपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में धान खरीदी को लेकर
चल रही सियासत के बीच कांग्रेस ने एक बड़ा ऐलान कर राजनीतिक गलियारों में
हलचल मचा दी है. खुद पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने (PCC Chief Mohan
Markam) केंद्र सरकार को खुले तौर पर आर्थिक नाकेबंदी (Economic blockade)
करने की धमकी दे दी है. मालूम हो कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार
ने किसानों को धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपए देने का वादा किया था,
लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. केंद्र ने शर्त रख दी है कि
उसके द्वारा तय मूल्य से अधिक में धान की खरीदी की गई, तो बोनस की राशि
नगीं दी जाएगी. इसके अलावा प्रदेश सरकार सेंट्रल पूल से चावल लेने का दबाव
भी केंद्र सरकार पर बना रही है. तो वहीं धान खरीदी को लेकर सीएम भूपेश बघेल
(CM Bhupesh Baghel) ने पीएम नरेंद्र मोदी एक पत्र भी लिखा था और खुद इस
मसले पर उनसे मिलने की इच्छा जताई थी, लेकिन फिलहाल पीएम मोदी (PM Narendra
Modi) से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है. इस मामले पर केंद्र की ओर से फैसला
नहीं आने पर कांग्रेस ने आर्थिक नाकेबंदी की बात कही थी.
कांग्रेस ने क्या कहा था
मालूम हो कि पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने केंद्र सरकार को खुलेआम आर्थिक नाकेबंदी
करने की धमकी दे दी थी. केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के तैयारियों की
समीक्षा करते हुए मोहन मरकाम ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra
Modi) को छत्तीसगढ़ का लौह अयस्क पसंद है, यहां के खनीज संसाधन पसंद हैं,
लेकिन धान नहीं. इसलिए जरूरत पड़ी तो राज्य में आर्थिक नाकेबंदी किया
जाएगा. पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने संकेत देते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ का
धान नहीं खरीदने पर केंद्र सरकार को हीरे और बॉक्साइट समेत छत्तीसगढ़ से
जाने वाले अन्य संसाधनों की आपूर्ति भी बंद हो सकती है. मरकाम ने कहा था कि
केंद्र छत्तीसगढ़ से हीरे और बॉक्साइट ले सकती है लेकिन मेहनतकश किसानों का
चावल नहीं.
पड़ेगा क्या असर
राज्य और केंद्र सरकार के बीच टकराव अब आर्थिक नाकेबंदी की धमकी तक पहुंच गई है. धान और किसान के मामले पर जारी राजनीति अपने चरम की ओर और अब आर्थिक नाकेबंदी शब्द पर ही राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. मालूम हो कि पिछले 10 महीने में कांग्रेस सरकार कई बार आर्थिक स्थिति में सुधार की बात कर चुकी है. यहां आर्थिक नाकेबंदी के नफा-नुकसान को जान लेना भी बहुत जरूरी है. बता दें कि सरकार के करीब एक लाख करोड़ के बजट का करीब 45 फीसदी राजस्व केंद्रीय प्राप्तियों का अंश है. यानि की सरकार के खर्चों का आधा हिस्सा केंद्र ही देती है. अगर सरकार आर्थिक नाकेबंदी कर लेती है तो इस खर्च पर भी सीधा असर पड़ सकता है.
जनता को होगा सीधा नुकसान
तो वहीं पूर्व मंत्री और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर साहू का कहना है कि आर्थिक नाकेबंदी का बात कहना और सोचना एक तरह से अपनी सीमा का अतिक्रमण करने जैसा मामला है. ऐसी बाते कहनी ही नहीं चाहित. उन्होंने साफ कहा है आर्थिक नाकेबंदी का सीधा नुकसार सरकार और राज्य की आम जनता को होगा.