महंगी हो सकती हैं 5 रुपए प्रति टेबलेट से कम वाली दवाएं, सरकार कर रही है तैयारी: रिपोर्ट्स

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नई दिल्ली. सरकार (Government)और मेडिसिन इंडस्ट्री (Medicine Industry) जल्द एक बड़ा फैसला लेने जा रही हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक, देश की नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन (NLEM) को अपडेट किया जा रहा है. ऐसे में 5 रुपए प्रति डोज से कम कीमत वाली दवाएं प्राइस कंट्रोल लिस्ट से बाहर हो सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो दवा निर्माता इन दवाओं की कीमतों में हर साल 10 फीसदी की दर से वृद्धि कर सकेंगे. NLEM के बाहर वाली दवाओं की कीमत में दवा कंपनियां सालाना 10 फीसदी की दर से इजाफा कर सकती हैं. 2015 की सूची में 375 से अधिक दवाओं को इस सूची में शामिल किया गया था. बता दें कि इस सूची में स्टेंट जैसी मेडिकल डिवाइसेज भी शामिल हैं.

ये इंडस्ट्री 2015 में तैयार हुई अहम दवाओं की सूची को अपडेट करने जा रही है. फिलहाल देश के 1.36 लाख करोड़ रुपए के घरेलू दवा बाजार में से 19 फीसदी प्राइस कंट्रोल में आता है. इसमें से 4-5 फीसदी ऐसी दवाएं हैं जिनकी कीमत पांच रुपए प्रति डोज से कम है. एक डोज में एक टैबलेट या कैप्सूल आती है.

लंबे समय सेकी जा रही थी अपील

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दवा इंडस्ट्री तकरीबन एक साल से इसकी बात कर रही थी. इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने सरकार से कई बार मुलाकात करके प्रस्ताव दिया था कि 5 रुपए से कम प्रति डोज वाली दवाओं को प्राइस कंट्रोल लिस्ट से बाहर किया जाए. नई सूची तैयार करने वाली टीम में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि इंडस्ट्री के प्रस्ताव पर गौर किया जा रहा है.

सालाना बढ़ेंगी दवाओं की कीमत
ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर, 2013 के तहत डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स इस सूची में शामिल दवाओं को दर्ज करता है. इसके बाद नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी अधिकतम कीमत तय करती है, जिस पर दवा निर्माता उस दवा को बेच सकते हैं.

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