बैंकॉक में RCEP समझौते पर हस्‍ताक्षर करेंगे पीएम मोदी, जानें भारत में क्‍यों हो रहा है इसका विरोध?

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नई दिल्‍ली.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बैंकॉक (Bangkok) में 16वें आसियान सम्‍मेलन (ASEAN summit) में हिस्‍सा ले रहे हैं. भारत इस दौरान एक व्‍यापारिक समझौते पर भी हस्‍ताक्षर करने वाला है. रिजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) नामक इस समझौते के तहत आसियान सदस्‍य और साझेदार देश आपस में अपनी सहूलियतों के हिसाब से व्‍यापार कर सकते हैं. लेकिन भारत के इस पर हस्‍ताक्षर करने को लेकर कांग्रेस विरोध कर रही है. इस आरसीईपी के बारे में यहां जानिये…

आयात-निर्यात शुल्‍क या तो होता है खत्‍म या कम
रिजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) आसियान देशों के बीच प्रस्‍तावित व्‍यापारिक समझौता है. इसके तहत आसियान के दस सदस्‍य देशों (ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्‍यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम) और 6 साझेदार देशों (चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड) के बीच आयात-निर्यात होने वाले सामान पर लगने वाले शुल्‍क को या तो खत्‍म किया जा सकता है और या तो शुल्‍क को कम किया जा सकता है. से सभी देश इस समझौत पर हस्‍ताक्षर करेंगे.

PM Modi at ASEAN-India summit: I welcome India-ASEAN cooperation on Indo-Paific outlook. India’s Act East policy is an important part of our Indo-Pacific vision & ASEAN lies at the core of it. Integrated, strong & economically prospering ASEAN is in interest of India. pic.twitter.com/frBkXHJNTD
— ANI (@ANI) November 3, 2019

बढ़ सकता है भारत का व्‍यापारिक घाटा
आरसीईपी पर आसियान के 10 सदस्‍य देश और भारत समेत 6 साझेदार देश हस्‍ताक्षर करेंगे. इसके बाद य‍ह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्‍त व्‍यापारिक समझौता बन जाएगा. इसके तहत दुनिया की करीब 3.5 अरब आबादी आएगी. आरसीईपी में जो सदस्‍य देश शामिल हैं, भारत का उनमें से अधिकांश देशों के साथ व्‍यापारिक घाटा है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगर भारत ने आरसीईपी पर हस्‍ताक्षर कर दिए तो इससे देश के व्‍यापारिक घाटे में और इजाफा हो जाएगा. जब कोई देश अन्‍य देश के साथ सामान का आयात अधिक और निर्यात कम करता है तो उससे दूसरे देश से मिलने वाला आयात टैक्‍स घटता है. इससे व्‍यापारिक घाटा बढ़ने की आशंका रहती है.

चीन से आने वाले सामान पर भी घटेगा शुल्‍क
आरसीईपी के तहत भारत चीन से आयात होने वाले सामान पर भी शुल्‍क को घटा या हटा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन से आयात होने वाले 80 फीसदी सामान पर भारत यह शुल्‍क घटा या हटा सकता है. साथ ही भारत ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड से आयात होने वाले 86 फीसदी सामान और जापान और दक्षिण कोरिया से आयात होने वाले 90 प्रतिशत सामान पर सीमा शुल्क में कटौती कर सकता है. इस शुल्‍क कटौती को 5, 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि में अमल में लाया जाना प्रस्‍तावित है. इससे भारत का व्‍यापार घाटा बढ़ जाएगा.

देश की अर्थव्‍यवस्‍था को लगेगा झटका: कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने आरसीईपी का विरोध करने का फैसला किया है. कांग्रेस का तर्क है कि आरसीईपी से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को झटका लगेगा. आरसीईपी का देश भर में कई लोग विरोध कर रहे हैं. इनका तर्क है कि चीन इसके तहत सस्ते समान भारत को बेचेगा. खास बात ये है कि साल 2012 में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत ने आरसीईपी डील में भाग लेने का फैसला किया था.

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