स्वतंत्रता आंदोलन में महत्ती भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों को शाल एवं श्रीफल देकर किया गया सम्मानित
धमतरी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 04 अक्टूबर से प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में कंडेल नहर सत्याग्रह की स्मृति में कंडेल से ‘गांधी विचार पदयात्रा‘ शुरू की गई। इस मौके पर कंडेल में आयोजित आमसभा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हुए उनके परिजनों को शाल एवं श्रीफल देकर मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया। इनमें स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पंडित सुन्दर लाल शर्मा के परपोते आशीष चंद्र शर्मा भी शामिल हैं। ज्ञात हो कि राजिम के निकट ग्राम चंदसूर में जन्में पंडित सुन्दरलाल शर्मा 1905 में बंगाल विभाजन के बाद जो स्वदेशी आंदोलन चला पंडित सुन्दरलाल शर्मा ने उसी के तहत् रायपुर में 1906 में खादी केन्द्र की स्थापना की। कंडेल में 1920 में हुए कंडेल नहर सत्याग्रह में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के साथ पंडित सुन्दरलाल शर्मा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने इसके साथ ही हरिजनोद्धार का महत्वपूर्ण कार्य किया। जिसकी महात्मा गांधी ने 1933 में छत्तीसगढ़ में दूसरे प्रवास के दौरान मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए उन्हें अपना सामाजिक गुरू माना। इनका असहयोग आंदोलन में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने छत्तीसगढ़ में सामाजिक चेतना का स्वर घर-घर पहुंचाने का अविस्मरणीय कार्य किया। वे न केवल आंदोलनकारी थे वरन् वे साहित्यकार, लेखक, चिंतक भी रहे। उन्होंने छत्तीसगढ़ी रामायण की रचना कर छत्तीसगढ़ के साहित्य में अमूल्य योगदान दिए हैं।
धमतरी में शिक्षा के प्रचार प्रसार में बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव जी का महवपुर्ण योगदान रहा है। गरीब विद्यार्थियों को सहयोग करते थे। 1914 में अपने घर में ही एक ग्रन्थालय आरंभ किया था।. 1921 के असहयोग आन्दोलन के दौरान अपने ही घर पर अपने खर्च पर राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की थी जिसके अवैतनिक प्रधान पाठक थे श्री ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी। भोपाल राव पवार और डॉ शोभा राम देवांगन भी अवैतनिक शिक्षक रहे। . बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे। 1921 में अपने घर पर खादी केंद्र की स्थापना के लिए अपनी माता जी के गहने तक बेच दिए। वे पूरी तरह राष्ट्र प्रेम के लिए समर्पित थे।. इन समाज सेवा के विभिन्न कार्यों के अलावा वे छोटी छोटी कहानियों द्वारा जन जागरूकता भी फैलाते थे। . सूर्य किरण चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक होने साथ वे अध्यात्म में भी रुचि रखते थे। वे रोज़ धमतरी व कंडेल में गीता पाठ भी करवाते थे।
पंडित सुंदर लाल शर्मा- पंडित सुंदरलाल शर्मा का असहयोग आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1905 में बंगाल विभाजन के बाद जो स्वदेशी आन्दोलन चलाए उसमे 1906 में पंडितजी ने रायपुर में खादी केंद्र की स्थापना की थी।. 1917 से अछूतों के उद्धार के लिए काफी काम किया। राजिम के राजीव लोचन मंदिर में अछूतों का प्रवेश करवाया था। जिसके लिए समाज ने उन्हें बहिष्कृत तक कर दिया गया था।. 1933 में जब महात्मा गांधी जी के द्वितीय छत्तीसगढ़ प्रवास में उन्होंने पंडित सुंदरलाल शर्मा को उनके कार्यों की वजह से अपना सामाजिक गुरु कहा था। . पंडितजी एक आंदोलनकारी होने के साथ ही साहित्यकारए लेखकए चिंतक भी थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ी रामायण की रचना कर छत्तीसगढ़ के साहित्य में अपना अमूल्य योगदान दिया।