ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ व पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ ने किया 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग
रायपुर
ओबीसी महासभा प्रदेश इकाई छत्तीसगढ़ एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ के संयुक्त तत्वाधान में रावण माठा मैदान अन्तरार्नीय बस स्टैंड के पास पिछड़ा वर्ग महासम्मेलन का आयोजन 27 अगस्त को होने जा रहा है। आयोजन का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में ओबीसी को आबादी के अनुरूप शिक्षा, नौकरी, पदोन्नति एवं राजनीति में आरक्षण प्रदान करना है। इसके साथ ही 30 वर्षों से लंबित 27 प्रतिशत आरक्षण पारित विधेयक को आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार से घोषित करने की मांग। व लंबित राष्ट्रीय जनगणना शीघ्र कराए जाए जिसमें ओबीसी के लिए पृथक से कोड नंबर का निर्धारण हो।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए ओबीसी महासभा के छत्तीसगढ़ प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम, ओमप्रकाश साहू, रायपुर संभाग के अध्यक्ष हेमंत कुमार ने कहा कि देश की संघीय संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदाय को अनुसूचित ( जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्गों में वगीर्कृत किया गया है। केंद्र शासन द्वारा अ. जा. एवं अ. ज. जा. को कुल 22.5 प्रतिशत आरक्षण दिया है एवं केंद्र सरकार ने 1993 में मंडल कमीशन के अनुशंसा के अनुसार संविधान लागू होने के 44 साल बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार 1994 में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है। साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को राज्य शासन के द्वारा आरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है, किंतु ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्यप्रदेश में मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण शिक्षा एवं रोजगार में दिया गया, जो कि आज पर्यंत छत्तीसगढ़ राज्य में लागू है। बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी ( आरक्षण) प्रदान नहीं करने के कारण प्रदेश की ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में अपरिमित नुकसान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि तमिलनाडु राज्य सरकार के द्वारा ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण सहित कुल 69 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इसी प्रकार भारत देश के कई राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण व्यवस्था सुनिश्चित किया गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2 नवंबर 2022 को सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण को यथावत लागू रखने का निर्णय दिया गया, जिससे बालाजी केस एवं इंदिरा साहनी केस में लगाई गई 50 प्रतिशत कैपिंग को पार करने के बाद ओबीसी को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी देने का रास्ता खोल दिया है।
उपरोक्त आरक्षण व्यवस्था के प्रकाश में छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति एवं सामान्य वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में दिए जा रहे आरक्षण के अनुसार ओबीसी समुदाय को भी आबादी के अनुरूप शिक्षा, रोजगार, पदोन्नति एवं राजनीति में हिस्सेदारी (आरक्षण) प्रदान कर ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान के अवसर प्रदान करने की मांग ओबीसी महासभा ने राज्य सरकार से की है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2 दिसंबर 2022 को विधानसभा में विगत 30 वर्षों से लंबित 27 प्रतिशत आरक्षण के लिए पारित विधेयक को अमलीजामा पहनाकर ओबीसी हित में सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिवद्धता पूर्ण करें।