INDIA के होंगे कई संयोजक, लालू यादव के बयान में संदेश ढूंढ रही नीतीश कुमार की पार्टी

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नई दिल्ली
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव के एक बयान से बिहार की राजनीति में कयासों का दौर शुरू हो चुका है। आरजेडी की सहयोगी जेडीयू को उनका वह बयान पसंद नहीं आया है, जिसमें उन्होंने इंडिया गठबंधन के कई संयोजक बनाए जाने की बात कही थी। जेडीयू को भरोसा है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की पहल करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस नए गठबंधन का राष्ट्रीय संयोजक बनाया जा सकता है। 31 अगस्त से 1 सितंबर को मुंबई में तीसरी बैठक होने वाली है, जिसमें इस मुद्दे पर फैसला हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”एक से अधिक संयोजक बनाने का कोई खास मतलब नहीं है। हालांकि राज्यों के हिसाब से संयोजक होना एक अच्छा विचार है। एनडीए में भी प्रदेश संयोजक हुआ करते थे, लेकिन एक से अधिक संयोजक अच्छा विचार नहीं है। हम नहीं जानते हैं कि लालू यादव इंडिया गठबंधन के एजेंडे के इतने मुख्य हिस्से के बारे में एकतरफा बात कैसे कर रहे हैं।” जेडीयू नेता ने कहा कि हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात करने वाले लालू यादव को इस बात का अंदाजा हो गया होगा कि आगामी बैठक में क्या हो सकता है। ऐसा लगता है कि गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस राष्ट्रीय संयोजक के पद पर विचार के लिए तैयार नहीं है। उसे कुछ अन्य दलों का भी समर्थनमिल सकता है।

आपको बता दें कि चारा घोटाला मामले में जमानत पर बाहर निकले लालू यादव मंगलवार को गोपालगंज में अपने पैतृक गांव फुलवरिया के दौरे पर थे। यहां उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “संयोजक की भूमिका पर कोई विवाद नहीं है। कोई भी इंडिया गठबंधन का संयोजक बन सकता है। मान लीजिए कि X को संयोजक बनाया गया है। ऐसे दूसरे संयोजक भी हो सकते हैं जिन्हें चार-चार राज्य दिए जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि बेहतर समन्वय के लिए राज्यवार संयोजक भी हो सकते हैं।

ऐसा कहा जा रहा है कि हाल ही में दिल्ली दौरे पर पहुंचे नीतीश कुमार ने कुछ विपक्षी नेताओं से मुलाकात करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच उनका पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक पर उनका जाना कुछ विपक्षी नेताओं को रास नहीं आया। भाजपा के साथ नीतीश के पुराने संबंधों को देखते हुए कुछ विपक्षी दल इसे मुंबई की बैठक से पहले जेडीयू द्वारा दबाव की रणनीति के रूप में देख रहे हैं।

महागठबंधन के एक सूत्र ने कहा, ”नीतीश कुमार को राहुल गांधी द्वारा अपनी भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले अपनी यात्रा निकालनी चाहिए थी। कांग्रेस किसी दूसरी पार्टी के नेता को प्रधानता देने के लिए सहमत नहीं हो सकती है। इसके अलावा, नीतीश कुमार की दोहरी राजनीति बिहार में काम कर सकती है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नहीं।”

विपक्षी एकता की पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई थी। बिहार के मुख्यमंत्री ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। दूसरी बैठक 17 जुलाई को बेंगलुरु में हुई, जिसमें 26 पार्टियों ने हिस्सा लिया।  इस बैठक में कर्नाटक में मिली जीत से कांग्रेस काफी उस्ताहित नजर आ रही थी। मीडिया से बात किए बिना बेंगलुरु से लौटे नीतीश कुमार ने चुप्पी साध ली। उन्होंने सभी को याद दिलाया कि उन्होंने ही विपक्षी एकता की पहल की थी।

मुंबई में दो दिवसीय बैठक के दौरान शीर्ष पदाधिकारियों के चयन के साथ-साथ नीतियों और संयुक्त रैलियों की कार्ययोजनाएं तैयार की जाएंगी। गठबंधन के शीर्ष पदाधिकारियों के पद के दावेदारों में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकाजुन खड़गे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल हैं।

 

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