उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है बाघ, वन मंडल गरियाबंद व सोनाबेड़ा में है 4 से 6 बाघ, प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी ने किया है सर्वे – ( शिवशंकर सोनपीपरे – प्रधान सम्पादक )
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है बाघ, वन मंडल गरियाबंद व सोनाबेडा में है 4 से 6 बाघ, प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी ने किया है सर्वे – ( शिवशंकर सोनपीपरे – प्रधान सम्पादक )
रायपुर | प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी वन्यप्राणी व वनों के रिसर्च कार्य, संरक्षण, संवर्धन हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा रजिस्टर्ड संस्था है | यह संस्था विगत कई वर्षो से वन, वन्यप्राणी, पर्यावरण, कृषि, जल, संस्कृति से सम्बंधित विषयो पर रिसर्च कर रही है | संस्था के डायरेक्टर तीव कुमार सोनी के द्वारा तीन चरणों में बाघ का रिसर्च करने का निर्णय लिया गया है | जिसके अंतर्गत संस्था के सदस्यों के द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पुरे जंगलो का सर्वे किया गया है जिसमे डायरेक्टर तीव कुमार सोनी ने सर्वे का रिपोर्ट जारी किया है अभी प्रथम चरण का सर्वे किया किया है जिसका परिणाम व मुख्य बिंदु निम्नानुसार है –
( 1 ) – उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है – उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आरम्भ से ही कोई भी बाघ नहीं है, इसीलिए उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आज तक बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है | बाघ तो उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाहर के जंगलो में पाया जाता है | वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के जंगलो में बाघ पाए जाते है | दरअसल उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व का गलत सीमा निर्धारण किया गया है | जिन वन परिक्षेत्रो में बाघ पाये जाते है उन वन परिक्षेत्रो को टाईगर रिजर्व में शामिल ही नहीं किया गया है और जिन वन परिक्षेत्रो में बाघ नहीं पाये जाते है उन वन परीक्षेत्रो को टाईगर रिजर्व में शामिल कर दिया गया है |
( 2 ) – बाघ मुख्य रूप से वन मंडल गरियाबंद के दो सर्कल व उड़ीसा – सोनाबेडा अभ्यारण्य के एक सर्कल में पाया जाता है | इन सर्कलो में 4 से 6 बाघ है जिसका विवरण निम्नानुसार है : –
सर्कल 01 – गोबरा, भाठीगढ़ सर्कल में 1 से 2 बाघ का है | ( वन परिक्षेत्र मैनपुर)
सर्कल 02 – दबनई,सिंहार,सिकासार,धवलपुर,नवागढ़ सर्कल में 2 से 3 बाघ है (मैंनपुर,धवलपुर,नवागढ़ रेंज)
सर्कल 03 – सोनाबेडा अभ्यारण्य ( उड़ीसा ) में 2 से 3 बाघ है |
( 3 ) – वन मंडल गरियाबंद का वन परिक्षेत्र मैनपुर, वन परिक्षेत्र धवलपुर, वन परिक्षेत्र नवागढ़ और उड़ीसा का सोनाबेडा अभ्यारण्य बाघों का मुख्य ठिकाना है | टाईगर रिजर्व का कोर एरिया तो वन परिक्षेत्र मैनपुर, धवलपुर, नवागढ़ को बनाया जाना चाहिए | वन परिक्षेत्र मैनपुर में आदमखोर बाघ ने 15 लोगो को मार डाला था तथा वन परिक्षेत्र मैनपुर से पूर्व में 4 बाघ भी पकडे गए है उन बाघों के वंशज आज भी इन्ही जंगलो में रहते आ रहे है |
( 4 ) – वन मंडल गरियाबंद व सोनाबेडा अभ्यारण्य के बाघ युवा होने पर प्रत्येक 4 – 5 साल में प्रजनन काल के दौरान वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट के ओंड, कुकरार, ताराझार के रास्ते साथी की तलाश में आना जाना करते है | इसलिए कभी कभार ओंड, कुकरार, ताराझर में बाघ के मल व पंजा का निशान मिल जाता है | वो बाघ वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के है | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व और वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट में कोई भी बाघ नहीं है |
उपरोक्त रिसर्च विवरण अनुसार उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है | बाघ का वास्तविक रहवास क्षेत्र वन मंडल गरियाबंद के दोनों सर्कल और उड़ीसा का सोनाबेड़ा अभ्यारण्य है | इन वन क्षेत्रो को मिला कर तत्काल टाईगर रिजर्व बनाने की आवश्यकता है क्योकि इनमे 4 से 6 बाघ होने का अनुमान है | वे बाघ अभी बेहद असुरक्षित है | उन बाघों को तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है | संरक्षण के अभाव में बाघों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है | वर्तमान उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई बाघ नहीं है इसलिए वहा बाघों के संरक्षण के लिए कार्य किये जाने की कोई आवश्यकता नहीं है |