कुल्हाड़ीघाट के गांवों में घुम रहा है राजकीय पशु वनभैंसा , दहशत में है ग्रामीण – तीव कुमार सोनी

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कुल्हाड़ीघाट के गांवों में घुम रहा है राजकीय पशु वनभैंसा , दहशत में है ग्रामीण – तीव कुमार सोनी

मैनपुर | राजकीय दुर्लभ पशु  वनभैसा वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट के ग्रामीण बसाहट के आसपास कई महीनो से विचरण कर रहा है । इसके चलते ग्रामीणों में दहशत है। ज्ञात हो कि पिछले कई माह से लगातार कुल्हाडीघाट के गाँवों आसपास प्रिंस नामक  वनभैंसा चक्कर लगा रहा है।

शाम होते ही वनभैंसा अंधेरे में सीधे ग्रामीणों के पालतू मवेशियों रखने के कोठा तक पहुंच जाता है । ग्रामीणों ने वन विभाग से होने वाले जान माल के नुकसान से बचाने की गुहारलगाई है। वनभैंसा उदंती अभयारण्य के अंदर जंगली मादा वनभैंसा के अभाव में गांव की तरफ आ रहे हैं । इन वनभैंसों का पिछले कुछ वर्षों गांव की तरफ आना एक सामान्य बात हो गई है लेकिन इससे ग्रामीणो को डर लगा रहता है।

पूर्व में खुले में घुँमने से नुकसान पहुंच चुका है वनभैंसे को

पिछले कुछ वर्षों से  उदंती अभयारण्य के घने जंगलों निकलकर गांव पहुंचे वनभैंसो ने पालतू  भैंसों को काफी नुकसान पहुंचाया है । ग्रामीण लगातार इसके मुआवजे की मांग  करते रहे हैं पर नहीं मिला है | जबकि वन्भैसो के बाहर खुले में घुमने से वन भैसों को काफी नुकसान पहुचा है | कई बार वन भैंसों को तीर मार दिया गया है | अभी पिछले माह मैनपुर रेंज में खुले में घूमते वन भैंसे की मौत हुई है जिसके मौत का खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है |

वन परिक्षेत्र अधिकारी बोले- हम नजर रख रहे हैं

कुल्हाड़ीघाट के वन परिक्षेत्र अधिकारी पटेल जी ने  बताया कि वनभैंसा गांवों के आसपास  पालतू मादा भैंसों से संपर्क बनाने पहुंचते हैं । कुल्हाड़ीघाट के गाँवों में घूम रहा वन भैसा शांत स्वभाव का है किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुचाता है पालतू पशुओ के साथ ही सामान्य रूप से विचरण कर रहा है | विभाग द्वारा केयर टेकर के माध्यम से  वनभैंसों की गतिविधीयो पर नजर रखी जा रही है।

उदंती अभयारण्य में  वनभैंसे खुले में घूम रहे

उल्लेखनीय है कि उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उदंतीअभयारण्य वनभैंसों के नाम से जाना जाता है। उदंती अभयारण्य में शासन द्वारा कक्ष क्रमांक 82 में 32 हेक्टेयर जंगल भूमि को रेस्क्यू सेंटर बनाकर तार का बाड़ा लगाया गया है। इस रेस्क्यू, प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र में वनभैसों का संरक्षण व संवर्धन किया जा रहा है। यहां एकमात्र मादा वनभैंसा आशा है। साथ ही दो वर्ष पहले आशा द्वारा जन्मी मादा वनभैंसा खुशी को भी बाड़े के अंदर पाला जा रहा है। विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 6 नर वनभैंसा खुले जंगल में घूम रहे हैं लेकिन खुले जंगल में मादा वनभैंसों को छोड़ा नहीं जाता जिससे वनभैंसा गांवों का रूख करते हैं।

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