संसद मेें बढ़ते दबाव को देखते हुए रेलवे अभ्यार्थियों से लिए गए अत्यधिक शुल्क को वापस करने को विवश हुए रेल मंत्री …
संसद मेें बढ़ते दबाव को देखते हुए रेलवे अभ्यार्थियों से लिए गए अत्यधिक शुल्क को वापस करने को विवश हुए रेल मंत्री
राज्य सभा में मेरे द्वारा रेलवे भर्ती में अभ्यार्थियों से वसूली गई भारी-भरकम आवेदन शुल्क का मामला अतारांकित प्रश्न सं.479 के माध्यम से संसद में उठाया गया था जिसके सापेक्ष में रेल राज्य मंत्री द्वारा बताया गया था कि 21 रेल भर्ती बोर्ड द्वारा 89,409 रिक्तियों के लिए आवेदन मंगवाए गए हैं और वर्ष 2017-18 में आवेदन शुल्क के जरिए रेलवे को 8,86,85,49,000 रूपए प्राप्त हुए हैं।
मेरा मूल प्रश्न यह था कि- क) गत पांच वर्षों में रेलवे के विभिन्न जोनों में कितनी रिक्तियों के लिए आवेदन मंगवाए गए थे और अभ्यार्थियों के आवेदनों के साथ मंगी गई और एकत्रित शुल्क कितनी है ? ख) एकत्रित राशि के उपयोग की जानकारी क्या है ? ग) क्या यह सच है कि अत्यधिक बेरोजगारी के कारण आवेदन पत्र अपेक्षा से अधिक आते हैं और इस प्रकार राशि भी अधिक एकत्रित हो जाती है? घ) क्या मंत्रालय उन्हीं अभ्यार्थियों से शुल्क लेने पर विचार करेगा जिनका सेवा में चयन किया जाता है जिससे बेरोजगारों पर भार नहीं पड़ेगा?
इस प्रश्न का उत्तर रेल राज्य मंत्री द्वारा अस्पष्टता के साथ दिया गया।
नियमों को तोड़-मरोड़ कर अभ्यार्थियों से ली गई राशि पर संसद में उठे प्रश्न को देखते हुए रेल मंत्री को अब घोषणा करनी पड़ी कि रेलवे के ग्रुप डी और सी के अम्यार्थियों से प्राप्त शुल्क अन्य पिछ़ड़े वर्गों का मात्र 100 रूपया रख कर 400 रूपया वापस होगा। इसी प्रकार अन्य छूट प्राप्त अभ्यार्थियों की पूरा शुल्क वापस होगा। मेरा मानना है कि आखिरकार बेरोजगारों से वसूले जा रहे इतनी बड़ी राशि पर संसद के आगामी सत्र में उठने वाले संभावित मामले के दवाब से रेल मंत्री द्वारा मजबूरन यह घोषणा करनी पड़ी। इस निर्णय से करोड़ों बेरोजगारों को फायदा होगा और उनके मेहनत की कमाई का पैसा उनके काम आएगा।
यह बात गौर करने योग्य है कि यदि संसद में यह मामला नहीं उठता तो रेलवे यह भारी-भरकम शुल्क बेरोजगारों का रख लेता। जैसा कि कई वर्षों से हो रहा था। यह इतनी बड़ी राशि है कि इस शुल्क से कई वर्षों तक जिन्हें नौकरी दी जानी है उनका तनख्वाह दिया जा सकता हैछाया वर्मा