शंकराचार्य कोई लाभ का पद नहीं है, वे आज भी भिक्षा करके भोजन करते हैं ::- शंकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती…
शंकराचार्य कोई लाभ का पद नहीं है, वे आज भी भिक्षा करके भोजन करते हैं ::- शंकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती
(वृंदावन) ::-
ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने उपस्थित संत, महात्मा एवं श्रद्धालुओं से कहा कि जब जब धर्म की ग्लानि होती है तब तब भगवान अवतरित होते हैं। यह याद रखिये की पाखण्ड मन मनुष्य को धर्म के मार्ग से विमुख कर देता है। आज कल एक से एक लोग खड़े हो रहे हैं, कोई महिला है जो अपने आप को नेपाल का शंकराचार्य घोषित कर दिया है साथ ही एक संस्था ऐसी है जो नए नए शंकराचार्य बनाती है और उनके अनुसार वे शंकराचार्य बोले। सोच यह है कि क्यों महिलाओं को वंचित किया जाए, उन्हें भी शंकराचार्य बना दिया जाए जैसे विधायक, सांसद बनाये जाते हैं। यह स्पष्ट हो सभी को की शंकराचार्य का पद कोई लाभ का पद नही है। प्रत्येक को यह जानना जरूरी है कि शंकराचार्य का कोई वेतन नहीं होता है। वह भिक्षा मांग कर ही भोजन करता है, तपस्या करता है, साधना करता है, सन्यास धर्म का पालन करता है, धर्म के प्रचार के लिए भ्रमण करता है, धर्म की रक्षा हेतु आवाज उठाता है और लोगों को धर्म मार्ग पर चलने के लिए कहता है और प्रेरित करता है।
उस महिला को इसलिए शंकराचार्य बनाया जा रहा है क्यों कि उसे राधास्वामी और ब्रह्मकुमारी का समर्थन प्राप्त है। एक अखिल भारतीय विद्वत परिषद है जिसे आरएसएस और भाजपा के लोगों ने बना के रखा है जो शंकराचार्य बनाते हैं। ये ब्रह्मकुमारी और राधास्वामी सनातन धर्म का नाश करने के लिए बने हैं। आगे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि शंकराचार्य वो होता है जिसमे धर्म के विपरीत कार्य करने वालों के खिलाफ बोलने और आवाज उठाने की ताकत हो और जो धर्म की रक्षा करने में सक्षम हो।