धर्मसम्राट् एवं स्वामिश्रीः के जयघोष से गूंजा श्रीविद्यामठ …
धर्मसम्राट् एवं स्वामिश्रीः के जयघोष से गूंजा श्रीविद्यामठ ।
खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) ::- 13 जुलाई को बनारस के केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में बड़े ही हर्ष के साथ धर्मसम्राट् स्वामी करपात्री जी महाराज का प्राकट्योत्सव एवं स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज का वर्द्धापनोत्सव विश्व गंगाधिकार न्यास की ओर से श्रीविद्यामठ के सभी भक्तों की उपस्थिति में आयोजित किया गया । इस अवसर पर पूर्वाह्न 9 बजे से वैदिक विद्वानों एवं बटुकों ने चतुर्वेद पारायण किया और स्वामिश्रीः के दीर्घायु होने की प्रार्थना की तथा मध्याह्न में भक्तों के लिए भण्डारा-प्रसाद वितरित किया गया ।
11 छात्रों को दिया गया धर्मसम्राट्-सनातनकेशरी-वेदभूषण-सम्मान
श्रीविद्यामठ में चल रहे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी न्याय वेदान्त महाविद्यालय के 4 वेद की 11 शाखाओं का अध्ययन कर रहे वैदिक छात्रों को आज स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज के वर्धापन दिवस के शुभ अवसर पर विश्व गंगाधिकार न्यास के अध्यक्ष अधिवक्ता पं रमेश उपाध्याय जी की ओर से धर्मसम्राट् सनातनकेशरी वेदभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया । सायं आल11 वैदिक छात्रों को 500/= रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गयी तथा पूज्य स्वामिश्रीः महाराज के वृन्दावन चातुर्मास्य अनुष्ठान से लौटने पर उनके पावन कर-कमलों से सर्वाधिक अंक पाने वाले छात्रों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा । ज्ञातव्य है कि प्रतिवर्ष आज ही के दिन 500/= रुपये की सम्मान राशि प्रशस्ति पत्र सहित वेद में प्रथम स्थान पाने वाले छात्रों को शास्त्री कक्षा अध्ययन पर्यन्त दी जाएगी ।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय आध्यात्मिक उत्थान मण्डल की माताओं ने स्वामिश्रीः के लिए सोहर व बधाई गीत प्रस्तुत किया । बटुक विपुल शुक्ल ने भाषण व आशुतोष पाण्डेय ने स्वरचित गीत प्रस्तुत किया । कार्यक्रम में प्रमुख रूप से देवी शारदाम्बा जी, कथा व्यास पं रूपेश तिवारी जी, श्री सतीश अग्रहरि जी, श्रीमती विजया तिवारी जी, श्रीमती उर्मिला शुक्ल जी, श्री ओमप्रकाश पाण्डेय जी, आदि जन उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक पौराणिक मंगलाचरण तथा धर्मसम्राट् व स्वामिश्रीः के चित्र पूजन से हुआ । संचालन श्री रमेश उपाध्याय जी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन काशी विद्वत् परिषद् न्यास के अध्यक्ष डा श्रीप्रकाश मिश्र जी ने किया ।