भगवान के भी गुरु होते हैं : इंदुभवानंद

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भगवान के भी गुरु होते हैं : इंदुभवानंद

खबरीलाल रिपोर्ट ::- गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर रायपुर के शंकराचार्य आश्रम में बड़े ही भक्तिमय माहौल में गुरु पूर्णिमा का पर्व ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद जी महाराज के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद ने बताया की भगवान को भी गुरु की आवश्यकता होती है। जब भगवान राम ने विष्णु के अवतार के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया तब उन्हें भी ऋषि वशिष्ठ के गुरुकुल में गुरु विद्या ग्रहण करने हेतु जाना पड़ा था। ठीक उसी तरह भगवान श्रीकृष्ण को संदीपनी ऋषि के यहां शिक्षा ग्रहण किये थे। इसलिए गुरु का स्थान बहुत बड़ा होता है। जैसे मार्ग गुरु दिखाए वैसे ही शिष्यों को पालन करना चाहिए। गुरु कभी भी अहित हेतु कोई बात नहीं करते, वे हमेशा अपने शिष्य की भलाई ही चाहते हैं जिससे वे जीवन मे सफलता अर्जित कर पाएं। गुरु हमेशा कहते हैं कि सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलो, निर्धनों व जरूरतमंदों की सेवा करो, गाय की रक्षा करो, संस्कारवान बनो और आने वाली पीढ़ियों में भी संस्कार के बीज बोओ तथा माता-पिता की सेवा करो। आगे ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद जी ने उपस्थित भक्तों से कहा मानव सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं होती। जितना भी धन आप क्यों न कमा ले लेकिन वो धन यदि किसी सन्त, महात्मा, मानव जाति के काम नहीं आया तो उस धन का कोई मोल नहीं रह जाता। मृत्यु पश्चात सब तरह के ऐशोआराम और धन छोड़कर ही जाना पड़ता है। इसलिए अपने पैसे और पद की न तो कभी घमंड करना चाहिए और न ही दुरुपयोग।

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