हम सरकार के नहीं अधर्म के विरोधी हैं :- अविमुक्तेश्वरानन्दः
हम सरकार के नहीं अधर्म के विरोधी हैं :- अविमुक्तेश्वरानन्दः
खबरीलाल रिपोर्ट (काशी) ::- जब कोई संन्यास लेकर सबको अभय प्रदान कर देता है तो वह किसी का विरोधी नही होता । सब उसके लिए अपना स्वरूप ही होते हैं। इसलिये यह स्पष्ट है कि हम भी सरकार के विरोधी नही है । यदि विरोधी होते तो सबके कल्याण के लिए यज्ञ क्यों करते ? हम तो देवताओं के कोप से सबको बचाने के लिए सर्वदेव कोपहर प्रीतिकर यज कर रहे हैं। जो अधर्म हो रहा है उसका विरोध करना आवश्यक है क्योंकि मन्दिर तोड़ना बहुत बडा पाप है । उक्त बातें स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने सन्त सम्मेलन मे व्यक्त किए।
यह आन्दोलन किसी भी सत्ता को पाने के लिए नही है। हमें सरकार का विरोध करके कोई सत्ता नहीं पाना है। हम तो परम सत्ता में लीन होने के लिए आगे बढ रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि जब भी राजसत्ता गलत काम करती है तो धर्म के जानने वालों को आगे आकर कहना ही पड़ता है । लोग महात्मा को महाराज इसीलिए कहते है क्योंकि सबको यह विश्वास होता है कि संन्यासी महात्मा धर्म को जानने वाले लोग सदा सत्य का साथ देंगे और राजनेता भी जब गलती करेंगे तो ये लोग सच बोलेंगे।
राम सिंहासन से पधारे सुखदेव दास जी महाराज ने कहा कि मन्दिर तोड़ना औरंगजेब का काम है। आज जो भी लोग मन्दिर तोड रहे हैं वे सब असुर हैं। हम सभी सन्तो को मिलकर ऐसा काम करना है कि हमारे सब मन्दिर सुरक्षित रहें। राम जन्म भूमि और कृष्ण जन्म भूमि सुरक्षित रहे । वैष्णव सन्त मोहन दास जी महाराज ने कहा कि हमे मन्दिरों को तोड़ने का बहुत दुख है। ऐसा कृत्य काशी में हो रहा है जिसकी कल्पना कभी नहीं की गयी थी ।
अखिल भारतीय दण्डी संन्यासी महासभा के महामन्त्री ईश्वर मठ से पधारे स्वामी ईश्वराननाद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि हम साधु महात्मा विकास के विरोधी नहीं हैं। बस यह चाहते है कि जो भी हो वह शास्त्र के अनुसार हो । अधिकारियों को धर्म के जानने वालों से पूछ कर विकास कार्य करना चाहिए। आज जो भी कुठाराघात हो रहे हैं वे सब हिन्दुओं पर ही हो रहे हैं जो दुर्भाग्य का विषय है। अयोध्या के राजमणि शरण जी महाराज ने कहा कि जिन गणेश जी की पूजा सम्पूर्ण विघ्नों के नाश के लिए की जाती है उन भगवान् के मन्दिरों को काशी मे तोड़ा गया है। अधर्म का साथ देने पर बहुत बड़ा पाप भोगना पड़ेगा।
सुन्दरवन भदोही से पधारे फलाहारी जी महाराज ने कहा कि काशी मे मन्दिर तोड़ा गया है। साधु का देवताओं का अपमान हो रहा है तो रावण की तरह ही नाश हो जाएगा। चेतावनी है कि जो जहाँ से ऊपर गया है वही पर वह उतर जाएगा ।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुदित शुक्ल के वैदिक मंगलाचरण से हुआ। संचालन मयंकशेखर मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानन्द जी महाराज ने किया।