मंदिर बचाओ महायज्ञ हेतु आमंत्रण रथ को स्वामिश्री: ने दिखाया हरि झंडी…
मंदिर बचाओ महायज्ञ हेतु आमंत्रण रथ को स्वामिश्री: ने दिखाया हरि झंडी।
खबरीलाल रिपोर्ट (काशी) ::- जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ने 17 जून 2018 को मंदिर बचाओ महायज्ञ हेतु आमंत्रण रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर काशी के रविन्द्रपुरी चौराहा से रवाना किये। इस शुभ मौके पर सनातन धर्म के सैंकड़ों लोग, साधु-संत उपस्थित थे। प्रत्येक आमंत्रण रथ में एक एक टीम वाराणसी जिले के 8 ब्लॉकों का दौरा करेंगे और प्रत्येक को मंदिर बचाओ महायज्ञ में सम्मिलित होने हेतु आमंत्रण करेंगे।
काशी विद्यापीठ ब्लॉक में सतीश अग्रहरि, बड़ा गांव में सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, हरहुआ में श्रीप्रकाश पांडेय, चिरई में किशन जायसवाल, आराजी लेन में कृष्ण कुमार, पिंडरा में भैयालाल पाल, सेवापुरी में संदीप राय एवं चोलापुर में दिनेश तिवारी अपनी टीमों के साथ रथ पर सवार होकर मंदिर बचाओ महायज्ञ हेतु आमंत्रण देने निकले।
इस शुभ अवसर पर स्वामिश्री: ने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं हैं लेकिन हम प्राचीन मंदिरों एवं मूर्तियों को तोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा उन मन्दिरों और देव विग्रहों को तोड़कर क्या विकास करेगी जब कि इन मंदिरों और देवताओं की पूजा करने देश व विदेश से श्रद्धालुगण काशी आते हैं और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जिस दिन शासन और प्रशासन यह सार्वजनिक तौर पर कह देगी की हम मंदिरों को विकास के नाम पर नहीं तोड़ेंगे तो उसी दिन से हम मंदिर बचाओ आन्दोलनम को बंद कर देंगे लेकिन जब तक शासन और प्रशासन यह नहीं कहती तब तक आन्दोलनम चलते रहेगा। स्वामिश्री: ने आगे कहा कि आज समाचार पत्र में प्रकाशित हुए हैं कि आगामी सावन महीने से काशी के विश्व विख्यात बाबा विश्वनाथ के वीआईपी दर्शन हेतु 500 रुपये का शुल्क लिया जाएगा जो बहुत ही निंदनीय कदम है। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि शासन और प्रशासन अब भगवानों को भी वीआईपी संस्कृति से जोड़ रही है जो समाज के लिए ठीक नहीं है। शासन और प्रशासन यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वे कितना बड़ा पाप के कार्य का भागीदार बन रहे हैं और श्रद्धालुओं को आम और खास में बांट रहे है। किस प्रकार का संदेश वे देना चाहते हैं ? क्या यह फुट डालने वाली नीति नहीं है जो एक समय अंग्रेजों ने भारत मे राज करने के लिए यह तिड़कम अपनाए थे। हम सनातन धर्मी कैसे मान ले कि यह वही हिंदुत्त्व वादी सरकार है जो लगभग 100 करोड़ सनातनियों के वोट से सत्ता में काबिज हुए और अब वे खुद ही सनातन धर्मियों के दिलों पर हथौड़ा चला रहे हैं।