आयुक्त ने कहा जर्जर हो चुका है भवन तुरंत खाली करो, इधर डीईओ ने दी स्कूल संचालित करने की अनुमति*

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*आयुक्त ने कहा जर्जर हो चुका है भवन तुरंत खाली करो, इधर डीईओ ने दी स्कूल संचालित करने की अनुमति*
० जर्जर भवन में स्कूल संचालित करने की अनुमति, बच्चों की जान को खतरा
० शिक्षा का अधिकार कानून को ताक में रखकर दिया अनुमति
राजनांदगांव। शिक्षा का व्यवसायीकरण इस हद तक बढ़ सकता है, जिसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते है। वीवीआईपी जिले में बच्चों की जान को जोखिम में डालकर शिक्षा विभाग ने कर्मा विद्या, चौखडिया पारा, राजनांदगांव को स्कूल संचालित करने की अनुमति दे दी। कर्मा विद्यालय जिस साहू समाज की भवन में संचालित हो रहा है, वह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है, जिसकी पृष्टि स्वयं नगर निगम आयुक्त ने किया है और इस भवन को तत्काल खाली करने का नोटिस जारी किया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग ने इस स्कूल को स्कूल संचालित करने की अनुमति दे दी। आरटीई वेब पोर्टल में कर्मा विद्यालय का नाम स्वीकृत स्कूलों की सूची में है यानि इस स्कूल में इस वर्ष शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत बच्चों को प्रवेश दिया जावेगा और यह स्कूल शिक्षा सत्र 2018-19 में उसी जर्जर भवन में संचालित होने वाली है।
साहू समाज के उपाध्यक्ष तहसील राजनांदगंव गीता साहू का कहना है कि हमने जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से इस स्कूल की मान्यता नवनीकरण नहीं करने का आग्रह किया था, क्योंकि भवन जर्जर हो चुका है और हमें स्कूल भवन को खाली करने का आयुक्त द्वारा नोटिस दिया गया है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने हमारी नहीं सुना। हमने इस संबंध में कलेक्टर को भी लिखित जानकारी दिया था और अब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जान-माल की हानि के लिये हम जिम्मेदार नहीं है। कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी और नोडल अधिकारी ही अब बतायेगें कि जर्जर भवन में पढ़ने वाले बच्चों की जान-माल की हानि के लिये कौन जिम्मेदार है।
*क्या कहता है शिक्षा का अधिकार कानून…*
शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 19 की उपधारा 1 के अनुसार, किसी भी स्कूल को प्रमाणित नहीं किया जाएगा, या उसे मान्यता नहीं दी जाएगी यदि वह अधिनियम द्वारा निर्धारित मान व मानकों और मानदंडों पर खरा नहीं उतरता है। राजनांदगांव जिले में 50 से अधिक निजी स्कूल घरों में, छोटे-छोटे कमरों में, गली-मोहल्लों में संचालित हो रहे है, जिनके पास मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग के द्वारा प्रत्येक वर्ष विभागीय मान्यता दिया जा रहा है जिन्हें 31 मार्च 2013 के पश्चात बंद कर दिया जाना था। इसके लिये जिला शिक्षा अधिकारी और नोडल अधिकारी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। इन स्कूलों को भी वैध स्कूल नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इन स्कूलों ने अधिनियम में परिभाषित नियमों और मानकों को अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के तीन साल के अंदर प्राप्त नही कर सके है।
*वर्सन….*
शिक्षा विभाग में अब तक लगभग एक दर्जन शिकायत दे चुके है और सुविधाविहिन और अवैध निजी स्कूलों की मान्यता नवनीकरण नहीं करने की मांग किया गया था, लेकिन शिक्षा विभाग शिक्षा का अधिकार कानून को ताक में रखकर अवैध निजी स्कूलों और सुविधाविहिन निजी स्कूलों को स्कूल संचालित करने की अनुमति प्रदान कर रही है, जिसके लिये जिला शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार है।
*क्रिष्टोफर पॉल, प्रदेश अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ पैरेट्स एसोसियेशन*
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