गरियाबंद जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाघ और वनभैंसा को बताया फर्जी | कहा – समारू गोंड के पालतू भैंसा को वन विभाग ने वन भैंसा घोषित किया है , हमने उस भैंस का दूध दुहा है |

गरियाबंद जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाघ और वनभैंसा को बताया फर्जी | कहा – समारू गोंड के पालतू भैंसा को वन विभाग ने वन भैंसा घोषित किया है , हमने उस भैंस का दूध दुहा है |
रायपुर | गरियाबंद जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाघ और वनभैंसा को फर्जी होना बताया है | लोकेश्वरी नेताम ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है की आदिवासी समारू गोंड के पालतू भैंस को वन विभाग के द्वारा वनभैंसा घोषित किया गया है , हमने उस भैंस का दूध दुहा है | वन विभाग के द्वारा बाघ का वीडियो जारी किये जाने पर लोकेश्वरी नेताम ने कहा की बाघ पैदा कैसे हुआ, बाघ के माता पिता कहा है , बाघ इतने साल तक बिना खाए पिए कैसे ज़िंदा रहा अचानक बाघ कैसे पैदा हुआ | ज्ञात हो की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के फर्जी बाघ और आदिवासियों पर वन विभाग के अत्याचार की सुचना लगातार मिलता रहा है उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व गरियाबंद क्षेत्र के सरपंचो , ग्रामीणों , आदिवासियों से सुचना मिली है की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ नहीं है और वन विभाग बाघ का फर्जी मल, फर्जी फोटो, फर्जी पंजा बना कर बाघ का फर्जी सबूत बनाता है साथ ही टाईगर रिजर्व के नाम पर वन विभाग वहा निवास करने वाले आदिवासियों पर भारी अत्याचार कर रहा है |
आदिवासियों को खेत, जमीन, घर, देव स्थल छोड़ कर जाने के लिए वन विभाग भारी दबाव डाल रहा है | परन्तु आदिवासी ग्रामीण वहा से हटने के लिए तैयार नहीं है क्योकि वहा के आदिवासी दादा – पुरखा जमाने से उक्त जंगल क्षेत्रो में निवास करते आ रहे है | उन आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन – खेती वहा पर है , उनकी संस्कृति और देव स्थल वहा पर है , उनकी परम्परा और पुरानी यादे वहा पर है | इन सभी को छोड़ कर आदिवासी वहा से चले जायेंगे तो फिर आदिवासियों की पूरी संस्कृति ही समाप्त हो जायेगी | इसलिए अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए आदिवासी वहा से हटना नहीं चाहते है |