वनाधिकार संवाद पदयात्रा ! वनाधिकार कानून के सफल क्रीयानाव्यान के लिये जन अभियान एकता परिषद के प्रयास से,,

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वनाधिकार संवाद पदयात्रा ! वनाधिकार कानून के सफल क्रीयानाव्यान के लिये जन अभियान एकता परिषद के प्रयास से,

 

वनाधिकार पट्टा प्राप्ति हेतु वनाधिकार संवाद पद यात्रा के लिये गरियाबंद जिला के प्रत्येक ग्राम के ग्रामवासी आज जिला कलेक्टर मे पदयात्रा पीपर छेडी,, उरतुली, जोबा,, धवलपुर,,, और अन्य ग्राम वासी शामिल थे,, वनाधिकार का अर्थ होता है की जो भी ग्रामीण जंगल मे वनो मे 2005 उस जमीन मे ेएक घेरा लगा कर उसमे जूताई, बुवाई नाराई, कर रहे हो उनका उसमे काबिज़ हो,, उसमे उस जगह पर ततुवर,, उड़द,, मड़िया,,कोदो कूटकी,, धान की फसल ले रहे है,, तो उस जल जंगल,, जमीन मे उसका अधिकार है,, इस मांग हेतु राजाजी के प्रयास से 2005 मे हरियाणा से दिल्ली पद यात्रा किया गया था ताकि ग्रामीणों का उनका अपना हक़ मिल सके,, परन्तु आये सरकारों की तब्दीलिगी से आज तक अधिकारों का फेहरास्तीन अटका पड़ा हुवा है, वनविभाग वाले तो अपनी मनमानी करते हुवे खड़ी फसल को उखाड़ देते है,, घेरे हुवे जमीन पर तार घेरा कर देते हैं,, उनके बिड़ ग़ार्ड औरतों बच्चों को गाली गलौच और मार पिट करते हैं,, छत्तीशगढ़ मे एकता परिषद विगत 30 वर्षो से महात्मा गांधी के मूल्यों पर चलने वाले जन संघटन के रूप मे कार्यरत है,, एकता परिषद के माध्यमो से हजारों ग्रामवासियो को उनके जंगल जमीन का अधिकार भी हासिल हुवा है,, वर्ष 2007 के जनादेश और उसके बाद भारत सरकार और एकता परिषद के मध्य हुवे समझौता के अनुसार पुरे देश मे वनाधिकार लागू किया गया,, छ. ग. मे वनाधिकार कानून 2006 का विशेष महत्व है,, छ. ग. के लगभग 12800 गाँवो वनाधिकार कानून के क्रीयान्वयन लाखों आदिवासियों और अन्य परम्परागात वन निवासियों को जंगल और जमीन का अधिकार हासिल हो सकता है,, विगत कुछ वर्षो मे छ. ग. सरकार और समाजसेवी संगठनों के प्रयासों से हज़ारो लोगो को अधिकार हासिल हुये है,, लेकिन वनाधिकार कानून के आधे अधूरे क्रीनव्यायान के चलते अभी भी लाखों लोग अपने अधिकार से वंचित है,, बड़ी संख्या मे लोगो के दावे अब तक स्वीकार नहीं किये हैं,,

प्राशासन के समछ हजारों दावे लंबित है,, जिनके निराकरण हेतु कोई समय सीमा तय नहीं की गयीं है,, विस्थापित लोगो की पहचान और वनाधिकार के तहत उन्हें अधिकार देने की प्रकरीया शुरू ही नहीं हुई है,, विशेष पिछड़ी जनजातियों के वनाधिकार हेतु कोई प्राथमिकता तय नहीं की गयीं है,, सामुदायिक अधिकारों से सम्बंधित दावे भी लंबित है आदि,, इन समस्याओं के चलते वनाधिकार के पात्र लगभग दो तिहाई के लोग और गांव अपने अधिकार से वंचित है,, एकता परिषद और सहयोगी संघटन मानते है की वनाधिकातऱ कानून के प्राभावी क्रियानव्यान के लिए व्यपाक जन जागरूकता और सरकार तथा शासन से संवाद की आवश्यकता है,, अहिंसा तथा शान्ति कि गांधी वादि विचारधारा मे विश्वास रखने वाले जन संघटन के रूप मे एकता परिषद और स्थानीय संघठन मिल जुलकर वनाधिकार के सफल क्रियान्वयन के लिए संवाद और प्रयास करना चाहते है,, एकता परिषद और सहयोगी संगठन के माध्यम से 05से 25फ़रवरी के दौरान छ. ग. के 15 जिलों मे वनाधिकार संवाद पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है,, इन समस्याओं के माध्यम से एकता परिषद के ग्रामीण सांथिगढ़ ग्रामवासियो के संवाद करेंगे और उनकी समस्याओं को स्थानीय शासन प्रशासन तथा मिडिया के समछ रखने की पहल प्रारम्भ करेंगे,, इस समायोजन मे,, जय जगत के उद्देघोस मे प्रदेश समन्वयक एकता परिषद प्रशांत कुमार,, मुरलीदास संत,,सीताराम सोनवानी,, मंगलू जगत,,भोला,, नूरानी, राजेंद्र नहरगाव,, सरपंच जी,, और सभी ग्रामीण चुर्चा के साँथ जिला कलेक्टर के पदाधिकारी के द्वारा सांतवाना दिए गए कथनों के साँथ विराम लिया गया,,

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