मुख्यमंत्री आबादी पट्टे से मिलेगा मालिकाना हक…
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में अनेक प्रकार की योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है लेकिन जो आबादी भूमि में काबिज प्रदेश के 46 लाख परिवारों को मालिकाना हक देने जा रही है वह प्रदेश की डॉ रमन सिंह सरकार की अब तक की बहुत बडी उपलब्धि के तौर के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री आबादी पट्टा मिलने से खरीदी बिक्री, अदालती प्रक्रिया में आसानी होने के साथ ही बैंक लोन भी सहयोगी साबित होगा। जिले के 1 लाख से अधिक परिवारों को आबादी पट्टा दिया जाना है जिसकी पूरी तैयारी जिला प्रशासन द्वारा दिसंबर 2017 में कर ली गई है। मुख्यमंत्री आबादी पट्टा मिलने की आस लगाए जिले की जनता बैठी हुई है।
जिस आबादी भूमि में बरसों से निवास करते आये हैं, उनका पट्टा नहीं होने के कारण रहवासियों को भूमि के क्रय-विक्रय, बैंक ऋण से संबंधित काम-काज या अदालती प्रक्रिया में तकलीफों का सामना करना पड़ता था। ग्रामीण परिवारों के दर्द को महसूस करते हुए मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने ऐसे परिवारों का सर्वेक्षण करवाकर पट्टा देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिससे उन परिवारों को एक नई पहचान के साथ-साथ मालिकाना हक दिया जाएगा।
गरियाबंद जिले के नगरीय निकाय व गांवों के एक लाख 590 परिवारों को आबादी पट्टे का वितरण किया जाना है, जिला प्रशासन द्वारा इसकी समुचित तैयारी कर ली गई है। राजस्व विभाग के अनुसार गरियाबंद तहसील के 143 गांवों के 23 हजार 338 हितग्राहियों को पट्टा दिया जायेगा। इसी तरह राजिम तहसील के 98 गांवों के 17 हजार 593, छुरा तहसील के 157 गांवों के 20 हजार 699, मैनपुर तहसील के 153 गांव के 18 हजार 710 तथा देवभोग तहसील के 92 गांवों के 20 हजार 250 हितग्राहियों को पट्टा का वितरण किया जायेगा। इन परिवारों के लिए यह एक बड़ी सौगात है। ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि का अलग से नक्शा या भू-अभिलेख नहीं होने के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पट्टा मिलने से इन दिक्कतों से निजात मिलेगी, साथ ही एक पहचान भी मिलेगी।
पर्तमान में आबादी भूमि में काबिज लोगों द्वारा मलबे की 50, 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर खरीदी बिक्री कर निकाय या ग्राम पंचायतों का शुल्क जमा कर नामांतरण कर लिया जाता था जिससे राज्य सरकार को राजस्व हानि होती थी लेकिन अब काबिज भूमि का मालिकाना हक मिलने के बाद से लोगों को नियम अनुसार स्टाम्प ड्यूटी पटाना होगा जिससे राज्य सरकार को राजस्व लाभ मिलेगा जो अब तक नही मिलता था।
बेरोजगार युवा जो स्वंय का रोजगार स्थापित करने के लिए बैंकों में लोन के लिए आवेदन तो देते हैं लेकिन बैंक को गेरेन्टी नही देने के चलते लोन नही मिल पाता है जिससे युवाओं को मायूसी होती है, लेकिन काबिज भूमि का मालिकाना हक़ मिलने से युवाओं को इस समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा।
भूमि का मालिकाना हक़ नही होने के चलते प्रदेश की जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था जिसे संज्ञान में लेकर प्रदेश के मुखिया डॉ रमन सिंह ने आबादी भूमि में काबिज लोगों को मालिकाना हक देने के लिए सर्वे करवाकर उन परिवारों को एक नई पहचान देने की ठानी थीं इस कार्य को गरियाबन्द जिला प्रशासन द्वारा दिसंबर में पूर्ण होने के बाद भी क्यों इसे जमीनी स्तर पर अब तक अमली जामा नही पहनाया जा रहा है समझ से परे है ?