भूपेश राज में छत्तीसगढ़ी महतारी भाखा और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के साथ छल-झम्मन लाल हिरवानी..
बालोद. गुरूर – गैर राजनैतिक संगठन छत्तीसगढिया क्रांति सेना गुरुर ब्लाक संजोयक झम्मन लाल हिरवानी के कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य उत्सव राजधानी में बना रहे है जिसमे छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों का कोई स्थान नहीं ना कोई सम्मान हुवा, लाखो करोड़ो रूपये खर्च करके अन्य प्रदेश देश,विदेश के कलाकारों को बुला कर राज्य उत्सव के कार्यक्रम में मंच दिया I बिडम्बना यह है कि आज छत्तीसगढ़ राज्य को अस्तित्व में आए 22 वर्ष पूर्ण हो चूका है आज भी छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति सुवा,पंथी,करमा,ददरिया,राउत नाचा भोजली,जवारा,पंडवानी,भर्तहरी, बासगीतो के कलाकारो को छतीसगढ़ में कोई स्थान नहीं दिया I अन्य प्रदेश के संस्कृति व कलाकारों को बुला व अन्य प्रदेश के संस्कृति को थोपने का काम किया I श्री हिरवानी ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ निर्माण हुए 22 बछर पूरा होने का बाद भी आज तक छत्तीसगढ़ महतारी भाखा का सृजन नहीं किया 28 नवंबर 2007 को विधानसभा में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा देने विधेयक पारित हुआ था। छत्तीसगढ़ी को राज्य की राजभाषा का दर्जा प्रदान कर छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचलन, विकास एवं राजकाज में उपयोग हेतु समस्त उपाय करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा ‘छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग’ की स्थापना की गई है । परन्तु आज भी छत्तीसगढीं महतारी भाखा का सृजन नही कर पाना भूपेश सरकार की विफलता हैँ l
बालोद से के.नागे की रिपोर्ट