मेडिकल के छात्रों को अब काउंसलिंग के बाद भी छोड़ सकेंगे सीट, लीविंग बांड से मिली आजादी

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भोपाल
 प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमडी-एमएस में प्रवेश लेने जा रहे डॉक्टरों के लिए अच्छी खबर है। अब काउंसलिंग के पहले दो चरण तक प्रवेश के बाद सीट छोड़ने पर उनके ऊपर सीट लीविंग बांड लागू नहीं होगा। मॉप-अप राउंड से यह प्रभावी होगा।

पिछले सत्र तक दूसरे चरण में प्रवेश लेने के बाद सीट छोड़ने पर सीट लीविंग बांड लगता था। इसमें सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेने वाले को 30 लाख रुपये और निजी कॉलेज वाले को पूरे पाठ्यक्रम की शुल्क बांड राशि के रूप में शासन को जमा करानी होती थी। अभ्यर्थी अच्छा कॉलेज या विषय मिलने के बाद भी त्यागपत्र नहीं दे पाते थे। एमबीबीएस में पहले ही यह व्यवस्था लागू हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि पिछले सत्र में प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पीजी की 1262 और निजी कॉलेजों में 830 सीटें थीं। इस वर्ष सरकारी और निजी दोनों कॉलेजों में कुछ सीटें बढ़ने के आसार हैं। प्रवेश नियमों में यह भी निर्धारित किया गया है कि अभ्यर्थियों को सिर्फ एक बार ही पंजीयन का अवसर दिया जाएगा। एमबीबीएस में दूसरी बार भी अवसर दिया था। एमडी-एमएस में प्रवेश के लिए दो अक्टूबर से पंजीयन प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है।

अभी जारी नहीं हुआ काउंसलिंग का कार्यक्रम

हालांकि, अखिल भारतीय कोटे की सीटों का कार्यक्रम अभी तक जारी नहीं होने से चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने भी अभी काउंसलिंग का कार्यक्रम जारी नहीं किया है। पहले चरण की काउंसलिंग में सीट आवंटन इसी माह होने के आसार हैं।

MBBS and BDS: अब नहीं भरना होगा बॉन्ड

मध्यप्रदेश सरकार ने ये ऐतिहासिक फैसला लिया है। आप चाहे सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस बीडीएस में दाखिले ले रहे हों या प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में, आपको सीट लीविंग बॉन्ड भरने की जरूरत नहीं होगी। आने वाले सत्र से इसे लागू किया जाएगा।

इस फैसले से सीधे सीधे 30 से 40 लाख रुपये तक की बचत हो सकेगी। क्योंकि किसी भी कारण से बीच में ही पढ़ाई छोड़ने पर आपको ये मोटी रकम नहीं भरनी होगी।

Seat Leaving Bond क्या है?

अब तक जो नियम हैं, उसके अनुसार MBBS Admission और BDS Admission के समय कॉलेज स्टूडेंट्स से एक बॉन्ड भरवाते हैं। इसमें ये लिखा होता है कि अगर छात्र/ छात्रा किसी भी कारण कोर्स पूरा नहीं करते हैं और बीच में ही कॉलेज छोड़ देते हैं, तो उन्हें एक निश्चित रकम कॉलेज को देनी होगी। ये रकम 5 लाख से 40 लाख रुपये तक.. बल्कि कई कॉलेजों में इससे ज्यादा भी होती है।

इसी साल नेशनल मेडिकल कमीशन ने भी इस मामले में दखल दिया था। National Medical Commission ने 2024 की शुरुआत में कहा था कि 'हमारे पास आयोग के पास इस बॉन्ड को लेकर ढेर सारी शिकायतें आई हैं। ये बताती हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। इस नियम के कारण स्टूडेंट्स स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन तक का शिकार हो रहे हैं। खासकर पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स।'

इसके मद्देनजर NMC ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मेडिकल कॉलेजं में सीट लीविंग बॉन्ड खत्म करने के लिए कहा था।

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