राजराजेश्वरी मंदिर में घट एवं ज्योति कलश स्थापित किये गए।

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जगद्गुरु शंकराचार्य आश्रम, बोरियाकला रायपुर में स्थित भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर में नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह शुभ समय मे आश्रम प्रमुख ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद ने विधि विधान के साथ घट स्थापित किये एवं पूजन पश्चात ज्योति कलश स्थापित किये। आचार्य धर्मेंद्र व आचार्य महेंद्र तिवारी ने मंत्रोच्चारण कर भगवती को पुष्पांजलि अर्पित करवाये। इस शुभ अवसर पर एमएल पांडेय, डीपी तिवारी, राजकुमार मिश्रा, ज्योति नायर, मनोज तिवारी, अनिल पांडेय, एलपी वर्मा , नरसिंह चंद्राकर, मयंका पांडेय तथा

विद्यार्थी रत्नेश शुक्ला, सोनू चंद्राकर, भूपेंद्र पांडेय , रुद्राभिषेक तिवारी व आदि भक्तों ने एक साथ पूजार्चना करने के पश्चात ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद के मार्गदर्शन में ज्योत जलाये। पूजन पश्चात ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद ने उपस्थित भक्तों को बताया की इस नए वर्ष विक्रम संवत 2075 में विरोधकृत संवत्सर प्रारम्भ हो चुका है। इस वर्ष का राजा सूर्य है और मंत्री शनि है। सूर्य दैवी ग्रह है तथा सुर शनि आसुरी ग्रह है तथा दोनों में परस्पर विरोध है। अतः इस वर्ष मंत्रियों और अधिकारियों में विरोध रहेगा। किन्तु अंत मे अधिकारियों का ही प्रभाव बना रहेगा। शनि और सूर्य में किसी भी प्रकार का कोई संबंध होता है तो ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य का बल शनि खींच लेता है और शनि बलवान हो जाता है। व्यवहारिक दृष्टि से यदि विचार करें तो सूर्य और शनि बाप बेटे हैं, बाप और बेटे में जब अंतर विरोध होता है तो बेटे की बात ही महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। नीति शास्त्र के अनुसार व्यक्ति सब कहीं अपनी जय और प्रतिष्ठा चाहता है किंतु पुत्र से पराजय में ही जय मानता है। ” सर्वत्रं जयं इच्छेत पुत्रात इच्छेत पराजयं “। रात्रिकालीन पूजन में भगवती राजराजेश्वरी का अर्चन 1008 कमल के पुष्प से किया गया तथा महाआरती की गई। उपस्थित भक्तों ने पूज्य ब्रह्मचारी के हाथों चरणामृत व प्रसाद ग्रहण किये। इसकी जानकारी शंकराचार्य आश्रम रायपुर के समन्वयक व प्रवक्ता सुदीप्तो चटर्जी ने दी और उन्होंने सभी श्रद्धालुगण से आग्रह किया कि नवरात्रि में भगवती राजराजेश्वरी का दर्शन कर ज्योत का भी अवश्य दर्शन करें।

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