देवभोग सिंचाई विभाग के एसडीओ हैं मस्त, विकास के कार्यों में है पस्त

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*सिंचाई विभाग के एसडीओ हैं मस्त, विकास के कार्यों में है पस्त**रिपोर्ट:- नागेश्वर मोरे देवभोग**देवभोग*- गरियाबंद जिले के अंतिम छोर में बसा है देवभोग जहां सिंचाई विभाग (विधायक आवास के पीछे) के कार्यालय में व्यवस्थाएं बदहाल स्थिति में हैं, सिंचाई विभाग के एसडीओ डी.के. पाठक ज्यादातर ऑफिस से नदारत मिलते है तथा ऑफिस बाबुओं के भरोसे संचालित होता है। जिसके चलते समस्या के निराकरण के लिए पहुंचने वाले फरियादियों को विभाग के ऑफिस से बेरंग लौटना पढ़ रहा है। यहां व्यवस्था के आलम की बात करे तो विभाग के भवन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि साजो श्रंगार में कोई कमी नहीं की गई है, लेकिन पूरे कार्यालय परिसर से लेकर स्टोर रूम तक सन्नाटा पसरा मिला। विदित हो कि सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़ की टीम जब दोपहर को एस डी ओ के नदारत का सच की पड़ताल करने दोपहर में पहुंचीं तो सिंचाई विभाग के एसडीओ डी.के. पाठक नदारत मिले और वहां मौजूद फरियादियों ने बताया कि बीते सप्ताह भर से घर से विभाग और विभाग से घर का चक्कर काट रहे है लेकिन विभाग में जिम्मेदारों के न होने के चलते हमारा कार्य अधर में लटका हुआ है। जब हमारी टीम कवरेज करने पहुँची तो व्यवस्थाएं तो बदहाल मिली हीं, साथ ही सबसे बड़ी बात यह रही कि ऑफिस में साहब के दर्शन लेने में फरियादियों को महीनों बीत जाते है। जब इस बाबत् उनके नंबर में फोन लगा के बात किया गया तो उन्होंने कहा कि में विभागीय काम से रायपुर आया हूँ जबकि देखा जाता है कि आये दिन कार्यालय से नदारत मिलते हैं। यहां बताना लाजमी होगा कि जहां भूपेश सरकार आम जनता के लिए विभागों के ऑफिस खुलने की समय सारिणी निर्धारित की गई है एवं सख्त निर्देश जारी की है, बावजूद इसके उक्त विभाग के अधिकारी सरकार के आदेशों का धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं ।भ्रष्टाचार और लापरवाही का आलम यह भी है कि एस डी ओ अपने कार्य क्षेत्र से हमेशा गायब रहते हैं एवं जनता की समस्याएं सुनने के लिए ऑफिस में कब बैठते हैं इसकी भी कोई जानकारी लोगों को नहीं है, जब लोगों के द्वारा एसडीओ को फोन के माध्यम से ऑफिस कब आएंगे पूछने पर एसडीओ साहब यह कहते हैं कि मैं अपने ऑफिस के काम से बाहर आया हुआ हूं एवं एक-दो दिन में आ जाऊंगा कह कर सप्ताह सप्ताह ऑफिस से नदारद रहते हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों से लोग आकर ऑफिस के चक्कर लगाने को मजबूर हैं, बावजूद इसके एसडीओ साहब अपने मस्ती में मस्त रहते हुए अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हुए हमेशा दिखते हैं।

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