श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ में हुआ महारास और रुक्मणी विवाह की कथा झूमे श्रद्धालुआत्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास है_आचार्य युवराज पांडे

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संवाददाता कृष्ण कुमार त्रिपाठी जिला उपब्यूरो गरियाबंद सर्वोच्च छत्तीसगढ़ श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ में हुआ महारास और रुक्मणी विवाह की कथा झूमे श्रद्धालुआत्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास है_आचार्य युवराज पांडेमैनपुर विकासखंड के अंतर्गत धर्म नगरी ग्राम अमलीपदर में चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन तिवारी परिवार द्वारा आयोजित कथा में भक्तों की जनसैलाब दिनों के दिनों बढ़ती जा रही है कथावाचक आचार्य श्री रामानुज युवराज पांडे जी व्यास महाराज जी के द्वारा श्रद्धालु कथा अमृत का रसपान कर रहे हैं आचार्य जी ने भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया एवं परमात्मा के महारास की कथा का भी वर्णन किया आचार्य जी ने बताया की भगवत प्रेम पाने हेतु परमात्मा से किसी प्रकार से भी दंभ छल कपट नहीं करना है परमात्मा को संपूर्ण समर्पण त्याग की भावना लेकर के भगवान के चरणों में समर्पित हो जाना है भगवत प्रेम पाने मार्ग है जिस प्रकार से भगवान श्री रामचंद्र जी ने वनवास काल में जब माता शबरी से वन में मिले थे तो उन्होंने भगवान को पाने हेतु नवधा भक्ति का मार्ग बताया था की आत्मा परमात्मा को कैसे प्राप्त कर सकता है उसी प्रकार गोपीओ ने भी पूर्व जन्म में ऋषि मुनि थे जिन्होंने कठोर तप किया और तप के फल स्वरुप परमात्मा से वरदान प्राप्त किया कि भगवान आपका सानिध्य में प्राप्त हो और फलस्वरूप द्वापर युग में समस्त ऋषि मुनि भक्त भगवान कृपा से ब्रज में गोपी बन करके जन्म लिए और भगवान कृष्ण को प्राप्त हुए गोपी कोई स्त्री का नाम नहीं है गोपी का अर्थ है गो नाम से इंद्रिय एवं पी का अर्थ है विषयों को पीना अर्थात जो इंद्रियों को दमन करके विषयों को दमन करके परमात्मा के शरण में आते हैं उन्हीं का नाम गोपी है और वही भगवान को प्राप्त होते हैं क्योंकि फिर ह्रदय को भक्ति भाव में करके ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है तत्पश्चात भगवान के द्वारा मथुरा जाकर के कंस चाणूर का उद्धार किया गया एवं भगवान ने कालयवन का भी उद्धार किया एवं उन्हें समुद्र तट पर श्री द्वारिका धाम का निर्माण कर भक्तों का वहां आश्रय दिया गया और भगवान श्री कृष्ण ने माता रुक्मणी से विवाह किया कथा में भक्ति मय माहौल बना और लोगों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ कथा में उपस्थित हुए।

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